scorecardresearch
 

मधेपुरा लोकसभा सीट: शरद यादव और पप्पू यादव की दावेदारी से स्थिति रोचक

मधेपुरा जिला मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बी. पी. मंडल का पैतृक जिला है. जो द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रहे जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है और जिनकी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी वर्ग को देश में आरक्षण मिला.

Advertisement
X
मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव
मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव

Advertisement

बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. आरजेडी चीफ लालू प्रसाद का ये गढ़ रहा है तो बाहुबली पप्पू यादव और शरद यादव के बीच की सियासी जंग भी यहां के वोटरों के लिए हमेशा रुचि का विषय रहता है. मधेपुरा जिला उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है. मधेपुरा की आबादी है 1,508,361. राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव मधेपुरा से सांसद हैं.

ये जिला मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बी. पी. मंडल का पैतृक जिला है. जो द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रहे जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है और जिनकी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी वर्ग को देश में आरक्षण मिला.

शरद यादव और पप्पू यादव की उपस्थिति से स्थिति रोचक

Advertisement

मधेपुरा लालू यादव का मजबूत गढ़ माना जाता है. आरजेडी चीफ लालू यादव दो बार मधेपुरा सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. मधेपुरा से 2014 में पप्पू यादव ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते थे. अब पप्पू यादव अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं. तब शरद यादव जेडीयू के नेता थे अब वे भी अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं. दोनों की नजदीकी अब कांग्रेस के साथ है मतलब महागठबंधन की ओर से टिकट पर दोनों की दावेदारी होगी.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1967 के चुनाव में मधेपुरा सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेता बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने चुनाव जीता. 1968 के उपचुनाव में भी जीत उन्हीं के हाथ लगी. 1971 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव ने चुनाव जीता. 1977 के चुनाव में फिर भारतीय लोक दल के टिकट पर बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने चुनाव जीता. 1980 के चुनाव में फिर इस सीट को चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव ने छीन लिया. 1984 के चुनाव में मधेपुरा सीट पर कांग्रेस के चौधरी महावीर प्रसाद यादव विजयी रहे. 1989 में जनता दल ने इस सीट से चौधरी रमेंद्र कुमार यादव रवि को उतारा और उन्होंने जीत का परचम लहराया.

इसके बाद जेपी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शरद यादव ने मधेपुरा को अपनी सियासी कर्मभूमि के रूप में चुना. 1991 और 1996 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर यहां से जीतकर शरद यादव लोकसभा पहुंचे. 1998 में आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने यहां से चुनाव जीता. 1999 में फिर शरद यादव जेडीयू के टिकट पर यहां से चुनाव जीते. 2004 में फिर लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से विजय पताका फहराई. लालू ने इस चुनाव में छपरा और मधेपुरा दो सीटों से लोकसभा का चुनाव जीता. हालांकि, मधेपुरा से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद फिर उपचुनाव हुए. इस बार आरजेडी के टिकट पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2009 में यहां से जेडीयू के शरद यादव फिर जीतने में कामयाब रहे. लेकिन 2014 में यहां से पप्पू यादव की चुनावी किस्मत एक बार फिर खुली और वे आरजेडी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे. हालांकि बाद में उन्होंने आरजेडी से नाता तोड़ लिया और अपनी अलग पार्टी बना ली.

Advertisement

इस सीट का समीकरण

मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,508,361 है. इसमें पुरुष मतदाता 790,185 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 718,176 है.

विधानसभा सीटों का समीकरण

2008 के परिसीमन के बाद मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा, सहरसा और महिषी. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जेडीयू और 3 पर आरजेडी की जीत हुई थी.

2014 चुनाव का जनादेश

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में मधेपुरा सीट से पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि, बाद में पप्पू यादव आरजेडी से अलग हो गए और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली. पप्पू यादव को 368937 वोट मिले. तब जेडीयू के टिकट पर शरद यादव उनके सामने थे. शरद यादव को 312728 वोट मिले. बीजेपी के विजय कुमार सिंह 2,52,534 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

इससे पहले 2009 के चुनाव में यहां से जेडीयू के टिकट पर शरद यादव जीते थे. शरद यादव को 370585 वोट मिले थे.  तब उनके सामने थे आरजेडी उम्मीदवार प्रो. रविन्द्र चरण यादव जिन्हें 192964 वोट हासिल हुए थे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

मधेपुरा से सांसद और जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव पहले बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा काल में उनका उभार लालू यादव की छत्रछाया में हुआ था. करीब डेढ दशक के सियासी साथ के बाद पप्पू यादव की राहें लालू से अलग हो गईं. लेकिन इसे सियासत का संयोग ही कहिए जिस कांग्रेस के साथ लालू यादव की पार्टी ने महागठबंधन बनाया है पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन उसी कांग्रेस पार्टी की सांसद हैं.

Advertisement

संसदीय कार्यवाही में पप्पू यादव की सक्रियता की बात करें तो 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने 206 बहसों में हिस्सा लिया. 288 सवाल पूछे जबकि 23 प्राइवेट मेंबर बिल उन्होंने पेश किए.

विवादों में भी रहे हैं पप्पू यादव

सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 2008 में सीपीएम नेता अजीत सरकार हत्याकांड में पप्पू यादव, राजन तिवारी और अनिल यादव को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पप्पू यादव ने पटना हाईकोर्ट में अपील की थी, जहां से उन्हें जनवरी 2008 में ज़मानत मिली थी. सबूत न मिलने के कारण बाद में पप्पू यादव को बेउर जेल से रिहा कर दिया गया. सीपीएम विधायक अजित सरकार और पप्पू यादव के बीच किसानों के मुद्दे पर तीखे मतभेद थे. अजीत सरकार की 14 जून 1998 को पूर्णिया शहर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. बाद में पप्पू यादव इस केस में बरी हो गए.

शरद यादव ने भी बदला पाला

जेपी आंदोलन के अगुवा रहे शरद यादव नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने मधेपुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. बाद में वे राज्यसभा पहुंचे. शरद यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए के संयोजक भी थे. शरद यादव लंबे समय से नीतीश कुमार के करीबी रहे लेकिन अध्यक्ष पद नीतीश द्वारा ले लिए जाने के बाद से रिश्तों में खटास आती गई. जब नीतीश ने एनडीए में जाने का फैसला किया तो इसका विरोध करते हुए शरद यादव ने अलग पार्टी-लोकतांत्रिक जनता दल बना ली.

Advertisement
Advertisement