मधुबनी बिहार के दरभंगा प्रमंडल का एक प्रमुख शहर एवं जिला है. दरभंगा और मधुबनी को मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है. मैथिली तथा हिंदी यहां की प्रमुख भाषा है. विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है. यहां के सांसद हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव. वे ग्रामीण परिवेश से आने वाले और किसानों के पक्षधर नेता माने जाते हैं. संसद में वह अपने जोशीले भाषण की वजह से जाने जाते हैं. मधुबनी से वे चार बार सांसद रहे हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1952 में ये सीट दरभंगा-पूर्व के नाम से जाना जाता था. पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार अनिरुद्ध सिन्हा जीते. 1957 के चुनाव में भी अनिरुद्ध सिन्हा जीते. 1962 के चुनाव में इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के योगेंद्र झा सांसद चुने गए. 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिव चंद्र झा सांसद चुने गए. 1971 में कांग्रेस ने इस सीट से जगन्नाथ मिश्रा को उतारा और वे जीतकर संसद पहुंचे. बाद में जगन्नाथ मिश्रा बिहार के मुख्यमंत्री भी बने.
1976 में संसदीय सीटों का परिसीमन हुआ और मधुबनी सीट बनी. जिसमें मधुबनी जिले के पश्चिमी इलाकों को शामिल किया गया. 1977 में इस सीट से चौधरी हुकुमदेव नारायण यादव जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. 1980 में यहां से काग्रेस के सफिकुल्ला अंसारी जीते लेकिन 4 महीने बाद ही उनका निधन हो गया. मई 1980 में यहां फिर चुनाव हुए. इस बार सीपीआई के भोगेंद्र झा जीते. 1984 में यहां से कांग्रेस के मौलाना अब्दुल हन्ना अंसारी जीते. 1989 और 1991 के चुनाव में इस सीट से सीपीआई के टिकट पर फिर भोगेंद्र झा को जीत हासिल हुई.
ये सीट बिहार में वामपंथ का गढ़ माना जाने लगा. 1996 में सीपीआई के चतुरानन मिश्र जीते. लेकिन 1998 के चुनाव में कांग्रेस के शकील अहमद के हाथ चुनावी जीत लगी. 1999 के चुनाव में यहां से बीजेपी के हुकुमदेव नारायण यादव फिर चुनाव जीते. जबकि 2004 के चुनावी समर में कांग्रेस के शकील अहमद के हाथ सफलता लगी. 2009 में मधुबनी सीट कड़े मुकाबले का गवाह बनी. यहां से बीजेपी के हुकुमदेव नारायण यादव चुनाव जीतकर फिर संसद पहुंचे. 2014 में मोदी लहर वाले चुनाव में भी हुकुमदेव नारायण यादव के हाथ जीत लगी.
इस सीट का समीकरण
मधुबनी संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,397,256 है. इसमें 755,812 पुरुष वोटर हैं जबकि 641,444 महिला वोटर हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
मधुबनी संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- हरलाखी, बेनीपट्टी, बिस्फी, मधुबनी, केवटी और जाले. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन सीटें आरजेडी, एक बीजेपी, एक कांग्रेस और एक आरएलएसपी ने जीती.
2014 चुनाव का जनादेश
मधुबनी लोकसभा सीट के 2014 के चुनाव नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी उम्मीदवार हुकुमदेव नारायण यादव को जीत हासिल हुई थी. हुकुमदेव नारायण यादव को 3,58,040 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दिकी जिन्हें 3,37,505 वोट मिले.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
17 नवंबर, 1939 को जन्में हुकुमदेव नारायण यादव ने ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में इतना ऊंचा मुकाम हासिल किया. 1950 में हुकुमदेव नारायण यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए. इन्होंने करीब 10 वर्ष तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय भूमिका निभाई. और वर्ष 1960 में पहली बार राजनीति में कदम रखा. वे पहली बार अपने गांव बिजुली पंचायत के ग्राम प्रधान के लिए चुने गए. एक-एक सीढ़ी चढ़कर उन्होंने पहले बिहार की सियासत में फिर बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाई. वे केंद्र में खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, और वस्त्र मंत्री, कृषि और जल-भूतल परिवहन मंत्रालय तक का जिम्मा संभाल चुके हैं.
मधुबनी के सांसद हुकुमदेव नारायण यादव को वर्ष 2014 के लिए उत्कृष्ट सांसद के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 16वीं लोकसभा के दौरान हुकुमदेव नारायण यादव ने अपने सांसद निधि का 99.91 फीसदी हिस्सा खर्च किया. संसदीय कार्यवाही में भी उनकी अच्छी खासी सक्रियता रहती है. 55 बहसों में उन्होंने हिस्सा लिया. जबकि 32 सवाल पूछे. इसके अलावा 5 प्राइवेट मेंबर बिल भी विभिन्न मुद्दों पर उन्होंने पेश किया.