हिमाचल प्रदेश के चार संसदीय सीटों में से एक हमीरपुर लोकसभा सीट, भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है. 1967 के बाद अब तक हुए 15 चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर 9 बार जीत दर्ज की है. इस सीट से बीजेपी यूथ मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर तीन बार से लगातार जीतते आ रहे हैं. इससे पहले उनके पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमा धूमल भी तीन बार सांसद रहे हैं. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा सीट है.
वीरों और शहीदों की भूमि के नाम से प्रसिद्ध हमीरपुर जिले की अर्थव्यवस्था कृषि के साथ कुछ लघु उद्योगों पर निर्भर है. इनमें मुख्य रूप से पर्यटन अहम है. 1972 में कांगड़ा जिले से अलग करके बनाए गए हमीरपुर जिले में प्रदेश की सबसे कम आबादी निवास करती है. हमीरपुर क्षेत्र राज्य का शैक्षिक केंद्र भी माना जाता है. यहां पर कई शिक्षण संस्थाएं हैं और जिले की साक्षरता दर करीब 89.01 फीसदी है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1967 के बाद हुए चुनाव में इस सीट पर सबसे ज्यादा बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. शुरुआत के दो चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी. 1967 इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी पीसी वर्मा जीते थे. इसके बाद 1971 में कांग्रेस के ही नरैन चंद ने जीत दर्ज की. 1977 में बीएलडी प्रत्याशी रंजीत सिंह, 1980 में कांग्रेस (इंदिरा) के नरैन चंद शाह जीते. इसके बाद 1984 का चुनाव भी नरैन चंद जीते, लेकिन इस बार वह कांग्रेस के प्रत्याशी थे. 1989 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और प्रेम कुमार धूमल जीते. 1991 में धूमल ने दोबारा जीत दर्ज की, लेकिन 1996 का चुनाव वह कांग्रेस प्रत्याशी मेजर जनरल विक्रम सिंह (रिटायर) से हार गए है.
1998 में बीजेपी ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर सुरेश चंदेल जीते. वह तीन बार लगातार 1998, 1999 और 2004 का चुनाव जीते. 2007 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल ने तीसरी बार जीत दर्ज की थी. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उनके लड़के अनुराग ठाकुर लड़े और 2008 का उपचुनाव जीता. इसके बाद 2009 और 2014 का चुनाव अनुराग ठाकुर जीतकर तीसरी बार इस सीट का संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
सामाजिक तानाबाना
हमीरपुर लोकसभा सीट के अन्तर्गत 17 विधानसभा सीट (देहरा, भोरंज, बड़सर, जसवां-प्रागपुर, सुजानपुर, नदौन, धर्मपुर, हमीरपुर, चिन्तपुरनी, गगरेट, ऊना, कुटलैहड़, झण्डुता, घुमारवीं, बिलासपुर, श्री नैना देवीजी और हरोली) है. 2017 के विधासभा चुनाव में बीजेपी 9 सीटों (देहरा, जसवां-प्रागपुर, धर्मपुर, हमीरपुर, चिन्तपुरनी, कुटलैहड़, झण्डुता, घुमारवीं, बिलासपुर) और कांग्रेस ने 8 सीटों (भोरंज, बड़सर, सुजानपुर, नदौन, गगरेट, ऊना, श्री नैना देवीजी, हरोली) पर जीत दर्ज की थी. भारत निर्वाचन आयोग की 2014 की रिपोर्टे के मुताबिक, इस लोकसभा क्षेत्र में 12.47 लाख वोटर हैं, जिनमें 6.33 लाख पुरुष और 6.14 लाख महिला वोटर हैं.
2014 का जनादेश
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी के प्रत्याशी अनुराग ठाकुर ने इस सीट पर 98 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. अनुराग ठाकुर को 4.48 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह राणा को 3.49 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के कमल कांत बत्रा थे, उन्हें करीब 15 हजार वोट मिले थे. खास बात है कि इस सीट पर पिछले चार चुनाव चुनावों में बीजेपी के जीत का अंतर औसतन 80 हजार वोट रहा है. 2014 के चुनाव में इस सीट पर करीब 66 फीसदी मतदान हुआ था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. 2008 के उपचुनाव में वह पहली बार इस सीट से सांसद बने थे. अनुराग लगातार तीन बार से सांसद हैं. वह मई 2016 से फरवरी 2017 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 29 जुलाई 2016 को वह प्रादेशिक सेना में नियमित कमीशन अधिकारी बनने वाले संसद के पहले सदस्य बने थे. चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक, अनुराग ठाकुर के पास 4.65 करोड़ की संपत्ति है. उनके पास 1.99 करोड़ की चल संपत्ति और 2.65 करोड़ की अचल संपत्ति है. इसी हलफनामे के मुताबिक, उनके ऊपर 420 जैसी धाराओं में 10 मुकदमें दर्ज हैं.
जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी के अनुराग ठाकुर ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 23.71 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 26.17 (ब्याज के साथ) करोड़ मिले हैं. इनमें से 2.46 करोड़ रुपए अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने 103 फीसदी अपने निधि को खर्च किया है.
अनुराग ठाकुर का फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल यह है.
ये हैं इस सीट पर जीतने वाली महत्वपूर्ण शख्सियत
प्रेम कुमार धूमल- तीन बार (1998, 1991 और उपचुनाव 2007) इस सीट से सांसद रहे प्रेम कुमार धूमल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वह मार्च, 1998 से मार्च, 2003 तक और फिर 1 जनवरी, 2008 से 25 दिसंबर, 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में वह मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी थे, लेकिन धूमल सुजानपुर सीट पर 2,933 मतों से हार गए.