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पंजाब में हार के लिए मोदी सरकार की नीतियों को हार का कारण मानता है अकाली दल

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे एनडीए ने कई राज्यों में क्लीन स्वीप किया लेकिन पंजाब में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा. दूसरे राज्यों में सहयोगी जहां जीत से गदगद हैं वहीं पंजाब में बीजेपी की सहयोगी अकाली दल ने हार पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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पीएम नरेंद्र मोदी और प्रकाश सिंह बादल
पीएम नरेंद्र मोदी और प्रकाश सिंह बादल

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लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे एनडीए ने कई राज्यों में क्लीन स्वीप किया लेकिन पंजाब में एनडीए को  हार का सामना करना पड़ा. दूसरे राज्यों में सहयोगी जहां जीत से गदगद हैं वहीं पंजाब में बीजेपी की सहयोगी अकाली दल ने हार पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पंजाब में बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल मिलकर चुनावी मैदान में उतरे थे. इसके बावजूद सूबे में कांग्रेस के विजय रथ को नहीं रोक सके हैं. ऐसे में हार पर मंथन करने के लिए मंगलवार अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक हुई. इस बैठक में सवर्ण आरक्षण की वजह से दलित मतदाताओं के छिटकने को हार का कारण बताया गया.

अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता महेश इंदर ग्रेवाल ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि पंजाब में हमारी पार्टी की हार की वजह दलित मतदाता का पार्टी से दूर होना रहा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सवर्ण समुदाय के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया था. ऐसे में पंजाब में दलित समुदाय के लोगों के बीच यह विरोधी दलों ने बता दिया कि अगर मोदी सरकार सत्ता में दोबारा लौटी तो आरक्षण व्यवस्था खत्म हो जाएगी.

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उन्हें बताया गया कि सवर्ण आरक्षण तो अभी एक ट्रेलर है, आगे इनका मकसद आरक्षण को ही पूरी तरह से सामाप्त करने की रणनीति है. इसी डर के चलते दलित समुदाय ने अकाली दल को वोट देने के बजाय बसपा सहित अन्य दूसरे दलों के साथ चला गया.

बता दें कि देश में सबसे ज्यादा दलित समुदाय के लोग पंजाब में है. यहां करीब 32 फीसदी दलित वोटर हैं, जो जीत- हार में अहम भूमिका अदा करते हैं. महेश इंदर ग्रेवाल ने कहा कि आरक्षण विरोधी बयानबाजी ने इस चुनाव में हमें बहुत नुकसान पहुंचाया है.

पंजाब में अकाली दल 10 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, जिनमें से 2 सीटें ही जीत सकी है. जबकि बीजेपी तीन सीट पर चुनाव लड़ी थी और दो जीतने में कामयाब रही. वहीं, कांग्रेस 8 सीटें जीती है. महेश इंदर ग्रेवाल कहते हैं कि हम जालंधर और अनंतपुर साहिब सीट इसलिए हार गए कि इन दोनों सीटों पर दलित वोट अकाली दल के बजाय बसपा के साथ चला गया. जबकि इससे पहले तक यहां दलित समुदाय हमें वोट देता रहा है.

इंदर ग्रेवाल कहते हैं कि पंजाब का राजनीतिक नजरिया देश के दूसरे राज्यों से अलग है. केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार रहते हुए भी कांग्रेस यहां नहीं जीत सकी थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में महेश इंदर ग्रेवाल पंजाब की लुधियाना सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, जिन्हें कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू के हाथों हार मिली है.

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उन्होंने कहा कि इस चुनाव में हम भले ही सीट नहीं जीत सके हैं, लेकिन हमारा वोट शेयर बढ़ा है. अकाली दल की मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में करीब 5 घंटे तक बैठक चली.

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