लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल यानी गुरुवार को वोट डाले जाएंगे. इसी दौर में 'देवगौड़ा परिवार' के तीन सदस्यों को चुनावी इम्तिहान से गुजरना होगा.पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और उनके दो पोते अलग-अलग सीटों से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला बीजेपी उम्मीदवारों से है. ऐसे में देखना होगा कि जेडीएस-कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 'देवगौड़ा परिवार' सियासी जंग फतह कर पाती है या नहीं?
तुमकुर: पूर्व प्रधानमंत्री मैदान में
कर्नाटक की तुमकुर लोकसभा सीट सुर्खियों में है, यहां से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा चुनावी मैदान में उतरे हैं. देवगौड़ के खिलाफ बीजेपी ने जीएस बसवाराज को उतारा है. ये सीट कांग्रेस की मजबूत सीटों में से एक मानी जाती है, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के एसपी मुदाहनुमे गौड़ा सांसद चुने गए थे. लेकिन जेडीएस-कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग में देवगौड़ा के चलते यह सीट जेडीएस के खाते में आई है. ऐसे में अब यहां जेडीएस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है.
हासन: विरासत संभाले की चुनौती
कर्नाटक की हासन लोकसभा सीट देवगौड़ा परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्ज्वल रेवन्ना चुनावी मैदान में उतरे हैं. प्रज्जवल रेवन्ना प्रदेश के पीडब्लूडी मंत्री एच डी रेवन्ना के बेटे हैं. प्रज्जवल के ऊपर दादा की राजनीतिक विरासत संभालने की चुनौती है. हासन सीट पर प्रज्ज्वल रेवन्ना खिलाफ बीजेपी से मंजू, बसपा से केएच विनोदराज और उत्तम प्रजाकीय पार्टी से एचएम चंद्रगौड़ा सहित 6 प्रत्याशी मैदान में है.
इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए देवगौड़ा परिवार को मात देना आसान नहीं होगा. जबकि प्रज्जवल के ऊपर अपने दादा की विरासत को बरकरार रखने की चुनौती है.
मंड्या: कुमारस्वामी के राजनीतिक वारिस
हासन सीट की तरह की है मंड्या लोकसभा सीट भी 'देवगौड़ा परिवार' की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर देवगौड़ा के पोते निखिल कुमारस्वामी मैदान में उतरे हैं. निखिल कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे हैं. हासन सीट पर निखिल कुमारस्वामी के खिलाफ कांग्रेस के दिवंगत नेता एमएच अम्बरीश की पत्नी एवं अभिनेत्री सुमनलता निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारने के बजाय सुमनलता को समर्थन कर रही है.
2014 में यहां से जेडीएस के सीएस पुट्टाराजू ने चुनाव जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर जेडीएस के एलआर शिवरामेगौड़ा ने जीत हासिल की थी. इस बार कुमारस्वामी के बेटे निखिल अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतरे हैं. हालांकि कांग्रेस जेडीएस के गठबंधन होने के चलते निखिल कुमारस्वामी की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है.
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