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लोकसभा चुनाव 2019: 7 चरण, 70 दिन, किसे मिलेगी सत्ता और किसका कटेगा पत्ता?

देश की 543 लोकसभा सीटों पर सात चरण में वोट डाले जाएंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से कमर कस कर रणभूमि में उतर चुकी हैं. लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में करीब ढाई महीने का समय लगेगा. ऐसे में इन 70 दिनों में देश की दशा और दिशा तय हो जाएगी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)

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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों के औपचारिक ऐलान के साथ ही देश में सियासी बिगुल बज चुका है. देश की 543 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में वोट डाले जाएंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से कमर कस कर रणभूमि में उतर चुकी हैं. लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में करीब ढाई महीने का समय लगेगा. ऐसे में इन 70 दिनों में देश की दशा और दिशा तय हो जाएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी एक बार फिर चुनावी मैदान में है. चुनावी ऐलान के साथ ही पीएम मोदी ने नारा दिया है कि 'एक बार फिर मोदी सरकार'. जबकि कांग्रेस राहुल गांधी के चेहरे के साथ रणक्षेत्र में उतर रही है. वहीं, देश में अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां भी अपना दमखम दिखाने में जुटी हैं और उनके नेता ही पार्टी के चेहरे हैं.

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क्षत्रपों के साथ दोनों बड़े दलों की जुगलबंदी

देश में चुनावी आचार संहिता लागू होने के साथ हीं अगले 70 दिन चुनावी प्रक्रिया के दौर से गुजरेंगे. माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव के नतीजे देश की दशा और दिशा को तय करेंगे. सभी पार्टियां 2019 की सियासी बाजी अपने नाम करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुट गई हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने राजनीतिक जंग जीतने के लिए क्षत्रपों के साथ हाथ मिलाया है.

बीजेपी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी के लिए कई क्षत्रपों के साथ हाथ मिलाया है. बिहार में बीजेपी के सहयोगी के तौर पर जेडीयू और एलजेपी हैं. महाराष्ट्र और पंजाब में बीजेपी एक बार अपने पुराने सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिवसेना और पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन किया है.

पहली बार साउथ में बीजेपी का गठबंधन

दक्षिण भारत में भी बीजेपी ने सहयोगी दल तलाश लिए हैं. तमिलनाडु में बीजेपी ने AIADMK और डीएमडीके के साथ गठबंधन किया है. हालांकि बाकी दक्षिण के राज्यों में बीजेपी अकेले चुनावी रण में उतर रही है. इसके अलावा पूर्वोत्तर में कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया है.

बीजेपी ही नहीं कांग्रेस ने भी सत्ता में वापसी के लिए कई दलों के साथ गठबंधन किया है. महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है और बिहार में आरजेडी, एलजेपी जैसे दलों के साथ हाथ मिलाया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया है.

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दक्षिण में कांग्रेस की मोर्चेबंदी

कांग्रेस दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी गठबंधन करके चुनावी किस्मत आजमा रही है. कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. जबकि तमिलनाडु में डीएमके के साथ चुनाव लड़ेगी. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी माना जा रहा है कि कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर चुनावी किस्मत आजमा सकती है. वहीं, देश के अलग-अलग राज्यों में क्षत्रप भी तमाम दलों के साथ समीकरण बैठाकर गठबंधन कर रहे हैं. यूपी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में सपा-बसपा ने गठबंधन किया है.

सर्वे में उलझी सियासी तस्वीर

बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए जिस तरह से सर्वे आ रहे हैं. उसमें पिछले चुनाव की तरह किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. हालांकि बीजेपी लगातार दावा कर रही है कि उसे पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें मिलेंगी. लेकिन अभी तक जितने भी सर्वे आएं है, सभी में बीजेपी को नुकसान दिखाया गया है. वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन भी अपने दम पर सरकार बनाता हुआ नजर नहीं आ रहा है.

गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई दलों की भूमिका अहम

इससे साफ जाहिर हो रहा है कि 70 दिन के सियासी घमासान में गैर-कांग्रेसी और गैर बीजेपी दलों की भूमिका अहम रहने वाली है. इनमें सपा-बसपा, टीएमसी, बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, और टीआरएस जैसे दल किंगमेकर की भूमिका में होंगे. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए गठबंधन अगर 272 के जादुई आंकड़े को नहीं छू पाता है तो ऐसे में छत्रपों की भूमिका काफी अहम रहेगी. ऐसे में देखना होगा कि कौन से दल किस खेमे में रहेंगे.

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