वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साफ किया है कि मिलान का काम हर विधानसभा क्षेत्र में केवल पांच मतदान केंद्रों पर ही होगा. इसका मतलब यह हुआ कि जब 23 मई को लोकसभा चुनाव में मतों की गणना होगी तो देश के 10.35 लाख मतदान केंद्रों में से केवल 20,600 केंद्रों पर ही यह कवायद होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शीर्ष अदालत के आठ अप्रैल के उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी जिसके तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक से बढ़ाकर पांच मतदान केन्द्रों पर ईवीएम में पड़े मतों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान करने का आदेश दिया गया था. यह याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में विपक्ष के नेताओं ने दायर की थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम में पड़े मतों से वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान का काम 5 मतदान केंद्र तक किया था लेकिन अब वे मांग कर रहे हैं कि इसे कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए. ईवीएम में पड़े मतों और वीवीपैट पर्चियों के मिलान का काम कई विधानसभा चुनावों में किया जा चुका है, पर लोकसभा चुनावों में यह काम पहली बार किया जाएगा.
परिणामों की घोषणा पर ज्यादा प्रभाव नहीं
अब तक पर्ची मिलाने का काम प्रति विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र के लिए लॉटरी प्रणाली के माध्यम से चयनित केंद्र के लिए होता था. हालांकि, वीवीपैट मशीनें सभी मतदान केंद्रों पर लगाई गई है. चुनाव आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि परिणामों की घोषणा पर इस प्रक्रिया का कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा, 'प्रत्याशी को ईवीएम से गणना के बाद परिणाम का पता चल जाएगा, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा में दो से तीन घंटे की देरी हो सकती है.'
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग औचक मिलान के लिए पांच भिन्न टीमों को काम सौंपता है तो परिणामों का ऐलान करने में देरी नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'लेकिन अगर संख्या पांच टीमों से कम हैं तो प्रत्येक स्टेशन पर लगने वाले समय के अनुपात में ही देरी होगी.' भारत में 4120 विधानसभा सीटें हैं और अगर इनमें पांच से गुणा कर दिया जाए तो पर्ची का मिलान 20,600 मतदान केंद्रों पर होगा.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 800 से ढाई हजार तक हो सकती है. चूंकि चंडीगढ़, दमन व दीव, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार, दादरा व नगर हवेली में कोई विधानसभा नहीं है. इसलिए पांच मतदान केंद्रों का चयन औचक होगा. इसका मतलब यह हुआ कि 25 मतदान केंद्र और अतिरिक्त जुड़ जाएंगे.
चुनाव आयोग ने 2014 के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा था कि पर्यवेक्षक और पीठासीन अधिकारी सबकुछ जांचने के बाद प्रत्येक चक्र की गणना के बाद उम्मीदवार परिणामों पर हस्ताक्षर करेंगे. आयोग ने इस बार देश भर में 10.35 लाख मतदान केंद्र बनाए हैं जबकि 2014 में इनकी संख्या 9.28 लाख थी यानी इस बार इनकी संख्या में 10.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. करीब 39.6 लाख ईवीएम मशीनें और 17.4 लाख वीवीपैट मशीनों का इन मतदान केंद्रों में इस्तेमाल हुआ है.
बता दें कि वीवीपैट मशीन ऐसा उपकरण होता है जिसमें से एक पर्ची निकलती है और उसमें वह चुनाव चिह्न अंकित होता है जिसे एक व्यक्ति ने वोट देने के लिए चुना होता है. यह पर्ची सात सेंकड के भीतर निकलती है और एक डिब्बे में गिर जाती है. मतदाता इसे घर नहीं ले जा सकता है.
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