तमिलनाडु की राजनीति के पितामह रहे दिवंगत एम करुणानिधि के बेटे मुत्थुवेल करुणानिधि (MK) स्टालिन राज्य की राजनीति की एक प्रमुख हस्ती हैं. वह फिलहाल द्रविण मुन्नेत्र कणगम (DMK) के अध्यक्ष हैं. करुणानिधि के निधन के बाद डीएमके की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके ही कंधे पर है.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उनका जन्म 1 मार्च 1953 को मद्रास (अब चेन्नई) में करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दयालु अम्मा की संतान के रूप में हुआ था. वह करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं. उन्होंने चेन्नई के प्रतिष्ठित प्रेसिडेंसी कॉलेज से इतिहास में डिग्री ली है. उनका परिवार इसाइ वेलालर समुदाय से जुड़ा तमिलनाडु के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवारों में से एक है. उनके जन्म के चार दिन के पहले ही रूस की क्रांति से जुड़े नेता स्टालिन की मौत हुई थी, और उनसे ही प्रभावित होकर उनके पिता ने यह नाम दिया. वह काफी युवा अवस्था से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे.
उनके अलावा उनके तीन भाई हैं- एम.के. मुत्थु जो कि एक एक्टर और सिंगर हैं, एम.के अलागिरी, जो कि एक राजनीतिज्ञ हैं और एम.के. तमिलरासु जो कि फिल्म प्रोड्यूसर हैं. 20 अक्टूबर 1975 को एम.के. स्टालिन की शादी दुर्गा स्टालिन से हुई, जिनका शादी के बाद नाम बदलकर शांता स्टालिन कर दिया गया. उनका एक बेटा उदयनिधि स्टालिन फिल्म प्रोड्यूसर एवं एक्टर है और एक बेटी सेंतामराई स्टालिन है. उन्हें फिल्में देखना और संगीत सुनना पसंद है.
राजनीतिक करियर
वह इमरजेंसी के दौरान MISA के तहत जेल जाने पर पहली बार राजनीतिक रूप से चर्चा में आए. 1989 से अब तक वह तमिलनाडु विधानसभा के चार बार सदस्य चुने गए. वह साल 1996 से 2002 तक चेन्नई के मेयर भी रहे. वह 2009 से 2011 के बीच राज्य के पहले डिप्टी सीएम रहे. वह 2001 में फिर से चेन्नई के मेयर चुने गए थे, लेकिन तत्कालीन सीएम जयललिता ने ऐसा कानून बना दिया जिससे कोई व्यक्ति एक साथ दो सरकारी पदों पर नहीं चुना जा सकता. यह कानून स्टालिन पर लागू हो गया क्योंकि तब स्टालिन राज्य के विधायक थे. लेकिन हाईकोर्ट ने इस कानून पर रोक लगा दी. हालांकि इसके बाद कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति लगातार दो बार मेयर नहीं बन सकता.
साल 2006 में विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्हें राज्य सरकार में ग्रामीण विकास एवं स्थानीय प्रशासन मंत्री बनाया गया. 3 जनवरी, 2013 को करुणानिधि ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और इसके बाद यह साफ हो गया कि करुणा की मौत के बाद वही डीएमके के प्रेसिडेंट होंगे. स्टालिन को 4 जनवरी, 2017 को डीएमके का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया. करुणानिधि के निधन के बाद 28 अगस्त, 2018 को उन्हें सर्वसम्मति से डीएमके का प्रमुख बनाया गया.