लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जहां रमजान के चलते 6 मई, 12 मई और 19 मई को मतदान पर नाराजगी जताई है तो वहीं अब मध्यप्रदेश के बीजेपी विधायक ने हिंदू त्योहारों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से पुनर्विचार करने की मांग की है.
हिंदू तिथियों का भी रखा जाए ध्यान: BJP विधायक
मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का बयान सामने आया है. 'आजतक' से बात करते हुए रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि 'चुनाव आयोग हिंदू तिथियों का भी ध्यान रखे क्योंकि 6 मई से लेकर 21 मई तक अक्षय तृतीया, बुद्ध पूर्णिमा और शादियों के शुभ मुहूर्त हैं जिसमें लाखों वोट प्रभावित होंगे'. रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि 'निर्वाचन तिथि तय करते समय सभी राजनीतिक दल बैठते हैं और कांग्रेस, सपा जो बहुत छाती पीटते हैं कि हम मुसलमानों के हितैषी हैं, उनको रमजान की तिथियों का ध्यान रखना चाहिए था'.
रामेश्वर शर्मा ने कहा कि 'हिंदुओं के सामने भी परेशानी है क्योंकि देखा जाए तो 6 और 7 तारीख को अक्षय तृतीया रहेगी. अक्षय तृतीया में देशभर में लाखों विवाह होते हैं. शादी में लोग जाते हैं. रिश्तेदार भी आते हैं तो मतदान इससे भी प्रभावित होगा. वहीं 18 और 19 तारीख को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है. यह पूर्णिमा ऐसी है कि देशभर के अंदर स्नान दान सभी पवित्र नदियों के तट पर लाखों श्रद्धालु नहाने जाते हैं और 24-24, 48-48 घंटे के मेले लगते हैं तो मतदान यहां भी प्रभावित होगा'.
रामेश्वर शर्मा ने कहा कि 'उनकी मांगों पर निर्वाचन आयोग यदि ध्यान देता है तो हमारी मांगों पर भी निर्वाचन आयोग को ख्याल रखना चाहिए क्योंकि जब लाखों शादियों में बारात निकलेगी और लोग बारात में जाएंगे तो लाखों वोटर भी तो इधर से उधर होंगे'.
जमीयत उलेमा को भी ऐतराज
रमजान के दौरान मतदान की तारीखों पर जमीयत उलेमा मध्य प्रदेश को भी ऐतराज है. जमीयत उलेमा के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून ने दावा किया है कि इससे मुसलमानों की वोटिंग पर असर पड़ेगा. 'आजतक' से बात करते हुए हाजी हारून ने कहा कि 'इलेक्शन कमीशन ने चुनाव के बारे में ऐलान किया कि यह हमारे भारत के गणतंत्र के लिए जरूरी है और हम इसका स्वागत करते हैं क्योंकि चुनाव 5 साल में होते हैं. उन्होंने कहा, 'रमजान मुबारक मुसलमानों की सबसे अहम फरीजा है और आमतौर पर रमजान के महीने में मुसलमानों की दिनचर्या बदल जाती है. दिन भर रोजा रखते हैं और देर रात तक नमाज, तराबी और इबादत में मशगूल रहते हैं, ऐसे मौके पर रमजान शरीफ का ख्याल किया जाना था'.
हाजी हारून के मुताबिक 'अगर ऐसा नहीं किया गया या कार्यक्रम तब्दील नहीं किया गया तो मुसलमानों की बहुत बड़ी तादाद रोजे के अंदर कमजोर हो जाती है. बुजुर्ग भी होते हैं, महिलाएं भी होती हैं. नौजवानों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा लेकिन बुजुर्ग और महिलाएं रात में इबादत की वजह से दिन में आराम करते हैं. वहीं इलेक्शन के अंदर लंबी लंबी कतारें होती हैं. कोई खास इंतजाम किए जाएं कि रोजेदारों को जल्दी से वोट करने दिया जाए. अगर लंबी लंबी कतारों में लोग होंगे तो वोटिंग का प्रतिशत बहुत कम हो जाएगा. इसलिए हमारा इलेक्शन कमिशन से अनुरोध है कि तारीखों पर फिर से गौर करें नहीं तो इससे मुसलमानों के वोटिंग प्रतिशत पर असर पड़ेगा'.