देश की सियासत के दो ऐसे राज्य जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां की राजनीति से देश की दिशा और दशा तय होती है. इस बार के लोकसभा चुनाव में इन दो राज्यों में बीजेपी और विपक्ष की सबसे बड़ी परीक्षा थी. चुनाव से ठीक पहले जब दो धुर विरोधी दल सपा और बसपा यूपी में साथ आए तो उसी वक्त से कहा जाने लगा कि इस बार बीजेपी पूर्ण बहुमत से दूर रह जाएगी.
यूपी ही नहीं बिहार में भी एनडीए के लिए यही बात कही जा रही थी क्योंकि आरजेडी, कांग्रेस, एनडीए के पूर्व साथी आरएलएसपी सब साथ आए लेकिन नतीजा सबके सामने है. आज जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे एक बात तय हो गई है कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ने सभी समीकरण ध्वस्त कर दिए है. इतना ही नहीं हमेशा के लिए इन दो राज्यों की राजनीति भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदल दी तो गलत नहीं होगा.
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यूपी की राजनीति में जातीय गणित पर पूरा जोर रहता है. यही वो गणित है जिसके बाद यह कहा जाने लगा कि सपा और बसपा साथ आ गए हैं तो अब कई सीटों पर ऐसे ही बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा. 2014 लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों के पड़े मतों को जोड़ा जाने लगा. कहा जाने लगा कि बीजेपी को बहुत अधिक नुकसान होने जा रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा को जो वोट मिला उसको जोड़कर बीजेपी के नुकसान का आंकलन किया जाने लगा. यह कहा जा रहा था कि सपा-बसपा का मूल वोटबैंक यादव, मुस्लिम और जाटव एक साथ सिर्फ यही तीनों मिल जाएं तो आंकड़ा पहुंचकर 43 फीसदी होता है.
यही नहीं यूपी की 10 सीटों पर मुस्लिम-यादव-दलित की आबादी 60 फीसदी से भी अधिक है. जिसमें घोसी, डुमरियागंज, फिरोजाबाद, जौनपुर, अंबेडकर नगर, भदोही, बिजनौर, मोहनलालगंज, सीतापुर शामिल है. 37 सीटों पर मुस्लिम-यादव-दलित की आबादी 50-60 फीसदी के बीच है.
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हालांकि जब नतीजे सामने आ रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि नरेंद्र मोदी के आगे सारे समीकरण ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं. 2014 के मुकाबले यूपी में बीजेपी की कुछ सीटें घटती नजर आ रही हैं लेकिन दोनों दल मिलकर भी यूपी में बीजेपी को जो नुकसान करने का अरमान पाले हुए थे वो कामयाब नहीं हुआ.
अब जबकि बीजेपी 56 सीटों पर आगे है तो एक बात साफ तौर पर कही जा सकती है कि मोदी ने आने वाले समय के लिए यूपी की राजनीति बदल कर रख दी है. क्योंकि इस बार दो दल साथ आकर भी कुछ नहीं कर पाए.
बिहार में महागठबंधन फ्लॉप
नतीजों से पहले जब एग्जिट पोल सामने आया तो बिहार को लेकर जो अनुमान लगाया गया तो इस पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था. राजनीतिक दलों के नेताओं ने तो न जाने क्या कुछ कह दिया. अब तक जो बिहार के रुझान आ रहे हैं उसमें एनडीए क्लीन स्वीप करती नजर आ रही है. किसी को यकीन हो या न हो लेकिन बिहार में मोदी के करिश्मे से कुछ ऐसा हुआ जिसने सबकी बोलती बंद कर दी है. सारे जातीय समीकरण धवस्त हो गए हैं.
बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में उतरा महागठंबधन पूरी तरह से फेल हो गया है. आरजेडी, कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी सहित महागठबंधन के बाकी सहयोगी दल सब मिलकर भी एनडीए को मात देना तो दूर थोड़ा बहुत भी नुकसान नहीं पहुंचा सके. बीजेपी बिहार में 36 सीटों पर आगे है. विपक्षी दल लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर वार करते रहे लेकिन जनता ने पीएम मोदी के नाम पर भरोसा जताया है.