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मछलीपट्टनम सीट: कभी कांग्रेस का था दबदबा, अब TDP मजबूत

मछलीपट्टनम लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था लेकिन 1991 के बाद कांग्रेस यहां हारती गई. इस सीट पर 1952 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया भी एक बार जीत चुकी है.

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टीडीपी उम्मीदवार कोनाकल्ला नारायण राव (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
टीडीपी उम्मीदवार कोनाकल्ला नारायण राव (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

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मछलीपट्टनम लोकसभा क्षेत्र आंध्र प्रदेश की कुल 25 सीटों में एक है. 2014 में टीडीपी ने यहां से जीत दर्ज की और कोनाकल्ला नारायण राव सांसद बने. राव ने वाईएसआर कांग्रेस प्रत्याशी कोलूसू पार्थसारथी को 80 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. टीडीपी ने राव को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. वाईएसआर कांग्रेस ने पूर्व सांसद वल्लभनेनी बालाशौरी को टिकट दिया है. कांग्रेस की यह मजबूत सीट रही है जिसने 1959 से 2004 तक जीत दर्ज की लेकिन बाद में यहां टीडीपी का दबदबा हो गया.

मौजूदा सांसद नारायण राव 2014 में विजयी रहे थे और इस सीट पर उन्हें 51.39 फीसदी वोट हासिल हुए थे. दूसरे नंबर पर वाईएसआर कांग्रेस रही जिसे 44.29 फीसदी और कांग्रेस को महज 1.23 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में मछलीपट्टनम की 83.48 फीसदी जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस निर्वाचन क्षेत्र की कुल आबादी 18,25,184 है जिसमें 69 फीसदी ग्रामीण है. 31 फिसदी लोग शहरों में रहते हैं. यहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. पुरुष वोटर्स 67,5,783 तो महिला मतदाताओं की संख्या 6,93,423 है. मछलीपट्टनम निर्वाचन क्षेत्र में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं- गुडिवाडा, पमारू, गन्नावरम, पेदाना, मछलीपट्टनम, अवनीगड्डा और पेनमलुरु. गुडिवाडा और पमारू में वाईएसआर कांग्रेस के विधायक हैं तो बाकी के पांच विधानसभा क्षेत्रों में टीडीपी का कब्जा है. पमारू सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

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इस सीट पर कापू समुदाय की अच्छी खासी संख्या है जो उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं. कापू समुदाय लंबे दिनों से ओबीसी स्टेटस की मांग करता रहा है जिस पर राजनीति खूब चलती है. मछलीपट्टनम में पानी के अंदर बहुत बड़ा बंदरगाह बन रहा है जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने की है. इस कार्य को देखते हुए टीडीपी मछलीपट्टनम में जीत की दावेदार है.

मछलीपट्टनम लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था लेकिन 1991 के बाद कांग्रेस यहां हारती गई. इस सीट पर 1952 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया भी एक बार जीत चुकी है. 1952 के बाद इस सीट पर 9 बार कांग्रेस पार्टी का सांसद रहा. उसके बाद टीडीपी दूसरे नंबर पर आती है जिसने 5 बार अपने सांसद दिए.

मछलीपट्टनम से सटा जिला अराकू है जहां इस बार दिलचस्प लड़ाई देखने को मिलेगी. अराकू लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होने जा रहा है. इस सीट पर अनुभवी जनजातीय नेता को चुनावी दंगल में उनकी बेटी चुनौती दे रही हैं. अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विरीचेरला किशोर चंद्र सूर्यनारायण देव यहां टीडीपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी ने उनकी बेटी और दिल्ली की वकील, सामाजिक कार्यकर्ता वी. श्रुति देवी को उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. छह बार सांसद रहे और कांग्रेस के प्रमुख जनजातीय चेहरों में शुमार देव ने पार्टी से नाता तोड़ टीडीपी का दामन थाम लिया. 72 वर्षीय देव उत्तर तटीय आंध्रप्रदेश के सबसे कद्दावर नेता हैं, जहां कई राजनेता इलाके के पूर्व शासकों के परिवारों से आते हैं. 

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