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45 हजार वोटर्स के नाम काटने पर मद्रास हाईकोर्ट ने मांगा ECI से जवाब

मछुआरों का नाम वोटर लिस्ट से हटाने के विरोध में तटीय बस्तियों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. गांव के स्थानीय निवासियों ने इस मामले की वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच और आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी.

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(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

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चुनाव आयोग ने कन्याकुमारी के 47 तटीय इलाकों से 45 हजार वोटर्स के नाम काट दिए गए थे. अब इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह नाम लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही काटे गए हैं. कोर्ट ने चुनाव आयोग को चार हफ्तों में अपना जवाब देने के लिए कहा है.

तमिलनाडु मछुआरा संघ ने कोर्ट ने याचिका दाखिल कर कहा था कि जनवरी 2019 की मतदाता सूची में उनका नाम था, लेकिन अप्रैल में उनका नाम सूची से गायब था. संघ ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार की मिलीभगत से उनका नाम लिस्ट से हटाया गया है. संघ के मुताबिक, सरकार को इस बात की जानकारी है कि तटीय गांवों में हम बहुसंख्यक हैं और वह बीजेपी उम्मीदवार पॉन राधाकृष्णन के खिलाफ वोट करेंगे.

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इससे पहले, मछुआरों का नाम वोटर लिस्ट से हटाने के विरोध में तटीय बस्तियों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. गांव के स्थानीय निवासियों ने इस मामले की वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच और आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी.

साउथ एशियन फिशरमैन संघ के महासचिव चर्चिल ने कहा कि करीब 30 हजार मछुआरों के नाम सूची से डिलीट किए गए हैं. उन्होंने कहा कि यहां 48 मछुआरों की बस्तियां हैं जो कन्याकुमारी जिले की चार सभाओं में बहुसंख्यक हैं. हमारी चुनाव आयोग से मांग है कि जिन इलाकों से मछुआरों के नाम काटे गए हैं वहां दोबारा वोटिंग करवाई जाए.

चर्चिल ने आगे कहा कि कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर मुकाबला बहुत कठिन है. यहां केंद्रीय मंत्री पॉन राधाकृष्णन और मौजूदा विधायक वसंत कुमार के बीच सीधा मुकाबला है. राधाकृष्णन केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों के विरोध का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने चक्रवात ओखी के दौरान तटीय इलाकों में कोई मदद नहीं की थी.

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