आज की आक्रामक राजनीति में जहां ज्यादातर नेता अपने तीखे तेवर के साथ पेश आते हैं, तो वहीं मनोहर पर्रिकर एक ऐसा नेता है जो बेहद सौम्य और शालीन तरीके से व्यवहार करने के लिए जाने जाते हैं और उनकी छवि शांत चित्त वाले एक नेता की तरह है. उनकी सादगी का आलम यह था कि वह मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने ऑफिस स्कूटी से जाते थे और उन्हें स्कूटी वाला मुख्यमंत्री कहा जाता था. हालांकि इस समय वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन उनके काम की जीविटता इस कदर है कि वह नाक में नली लगाकर दफ्तर जाते हैं और लोगों से मिलते भी हैं.
गोवा के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन मनोहर पर्रिकर 14 मार्च 2017 से इस पद पर हैं. इससे पहले भी वह 2000 से 2005 तक और फिर 2012 से 2014 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे. वह बिजनेस सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं. 2014 के लोकसभा बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्र में बुलाया गया तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया. रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्हें संसद सदस्य बनना जरुरी था और इसके लिए वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बने.
बचपन से संघ से नाता
पर्रिकर देश के पहले ऐसे भारतीय मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने आईआईटी से स्नातक किया हुआ है. उन्होंने 1978 में आईआईटी मुंबई से स्नातक की डिग्री हासिल की.
मनोहर पर्रिकर का जन्म साल 1955 में गोवा के मापुसा गांव में हुआ. उन्होंने लोयोला हाई स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल की और इसके बाद उन्होंने मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में दाखिला लिया और अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. पर्रिकर छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे. वह पढ़ाई के अलावा संघ की युवा शाखा में जाने लगे थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे और बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और उन्होंने बीजेपी पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा.
1994 में पहली बार जीते
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से पर्रिकर को 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला और उन्हें इसमें जीत भी मिली. 24 अक्टूबर, 2000 में गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल करते हुए सत्ता तक पहुंच बना ली और पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि मुख्यमंत्री बनने की खुशी पर्रिकर के लिए ज्यादा समय तक नहीं रह सकी क्योंकि निजी जिंदगी में उनका संघर्ष जारी थी. उनकी पत्नी मेघा कैंसर से ग्रस्त थीं और मुख्यमंत्री बनने के एक साल बाद उनका निधन हो गया. फरवरी, 2002 में उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा. जून, 2002 में फिर से वह मुख्यमंत्री बने और फरवरी 2005 तक इस पद पर रहे.
2005 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी 2012 में फिर से सत्ता में लौटी और पर्रिकर एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. दिया. 2014 में केंद्र में मोदी सरकार में रक्षा मंत्री बनने के लिए नवंबर, 2014 में इस्तीफा दे दिया. हालांकि वह रक्षा मंत्री के रूप में ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहे क्योंकि खराब तबीयत का हवाला देते हुए गोवा लौट गए और फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
हालांकि इसके बाद वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और अमेरिका में लंबे समय तक इलाज कराने के बाद वह स्वदेश लौटे और जोरदार जिजिविषा दिखाते हुए पिछले साल विधानसभा में बजट भी पेश किया था.