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मायावती का सवाल, क्या 1977 में रायबरेली की तरह इतिहास दोहराएगी वाराणसी?

बसपा प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमले जारी रखते हुए कहा कि क्या मोदी की उम्मीदवारी वाला लोकसभा  क्षेत्र वाराणसी वर्ष 1977 में घटित रायबरेली वाली कहानी दोहराएगा?

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मायावती (फाइल फोटो)
मायावती (फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ वाराणसी का फैसला भी होने वाला है. इस सीट पर दमदार जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरा जोर लगाया है. वहीं दूसरी ओर बसपा प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा है कि क्या मोदी की उम्मीदवारी वाला लोकसभा क्षेत्र वाराणसी 1977 में रायबरेली वाली कहानी दोहराएगा?

मायावती ने एक ट्वीट में कहा, 'पीएम श्री मोदी का गुजरात मॉडल यूपी के पूर्वांचल की भी अति-गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन को दूर करने में थोड़ा भी सफल नहीं हो सका, जो घोर वादाखिलाफी है.' उन्होंने कहा, 'पूर्वांचल के साथ यह वादाखिलाफी और विश्वासघात तब हुआ है जब प्रधानमंत्री (मोदी) और यूपी के मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) इसी  क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

उन्होंने आगे कहा, 'योगी को तो गोरखपुर ने ठुकरा दिया है, तो क्या ऐसे में पीएम मोदी की जीत से ज्यादा वाराणसी में उनकी हार ऐतिहासिक नहीं होगी? क्या वाराणसी 1977 का रायबरेली दोहराएगा?' मायावती ने कहा, 'मोदी-योगी की डबल इंजन वाली सरकार ने विकास के बजाय केवल जाति एवं साम्प्रदायिक उन्माद, घृणा और हिंसा ही देश को दिया है, जो अति दुखद है.'

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बसपा का इशारा वर्ष 1977 में हुए आम चुनाव में रायबरेली सीट के नतीजे की तरफ था. उस चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली सीट पर समाजवादी नेता राज नारायण के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था.

बता दें कि बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीट जीतने का दावा कर रही है और वाराणसी में पीएम मोदी की जीत को लेकर पूरी तरह अश्वस्त है. पिछली बार 2014 में पीएम मोदी का जीत का अंतर 2 लाख 75 हज़ार से ज़्यादा था. लेकिन इस बार पूरी पार्टी की कोशिश है कि देश में सबसे बड़ी जीत वाराणसी से पीएम मोदी की हो.

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