लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम समुदाय से वोट की अपील करने का खामियाजा बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को दो दिन के बैन के साथ झेलना पड़ा. चुनाव आयोग ने मायावती पर सख्ती दिखाई तो वह सुप्रीम कोर्ट के दरबार में पहुंचीं, जहां से उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
सुप्रीम कोर्ट से बसपा प्रमुख मायावती को बड़ा झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने मायावती की अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है, आयोग सिर्फ आचार संहिता तोड़ने वालों पर कार्रवाई कर रहा है.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग मायावती के प्रचार पर कुछ समय के लिए बैन लगा चुका है, मायावती ने याचिका दायर कर रैली की इजाजत मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह का बयान दोबारा आता है, तो याचिकाकर्ता फिर कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
देवबंद रैली में दिए गए भाषण पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने मायावती के प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक लगाई थी. ये बैन मंगलवार सुबह 6 बजे शुरू हुआ और 18 अप्रैल तक लागू होगा. इसके अनुसार इन 48 घंटे में मायावती कोई चुनावी सभा, रोड शो या राजनीतिक ट्वीट नहीं कर सकती थीं.
आयोग पर जमकर बरसी थीं मायावती
चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद मायावती ने इसे निराधार बताया था. मायावती ने चुनाव आयोग को दलित विरोधी भी ककार दिया था, सोमवार शाम को प्रेस वार्ता करते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने कोई भी धार्मिक माहौल खराब नहीं किया था और आयोग ने कार्रवाई से पहले जो नोटिस उन्हें भेजा था, उसमें भड़काऊ भाषण के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था.
मायावती ने आरोप लगाया, "चुनाव आयोग ने बिना मेरा पक्ष सुने ही मुझ पर प्रतिबंध लगा दिया. अब अगले दो दिन होने वाली रैलियों में मैं तो नहीं जा पाऊंगी, लेकिन मेरे कार्यकर्ता मेरा संदेश लोगों तक जरूर पहुंचाएंगे."
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