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हिन्दुस्तान मिटाने चलीं महबूबा का मिटा वजूद, कश्मीर में खाता तक न खुला

हिन्दुस्तान को मिटाने चलीं महबूबा मुफ्ती का खुद का सियासी वजूद खत्म हो गया है. उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी है. महबूबा इस सीट से तीसरे नंबर पर रह गईं. करारी हार के साथ ही महबूबा मुफ्ती कश्मीर में अब अपनी राजनीतिक जमीन भी खोती दिख रही हैं.

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महबूबा मुफ्ती कश्मीर में अपनी सीट तक नहीं बचा सकीं.
महबूबा मुफ्ती कश्मीर में अपनी सीट तक नहीं बचा सकीं.

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लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों ने जम्मू-कश्मीर की प्रमुख पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का संसद में वजूद खत्म कर दिया है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग की जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. हिन्दुस्तान को मिटाने चलीं महबूबा मुफ्ती का खुद का सियासी वजूद खत्म हो गया है. उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी है. महबूबा इस सीट से तीसरे नंबर पर रह गईं. करारी हार के साथ ही महबूबा मुफ्ती कश्मीर में अब अपनी राजनीतिक जमीन भी खोती दिख रही हैं.

कुल 6 सीटों में 3 पर बीजेपी और 3 पर NC

जम्मू-कश्मीर की कुल 6 सीटों में से 3 बीजेपी के हिस्से, जबकि 3 नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिस्से आई है. अनंतनाग में पीडीपी प्रत्याशी महबूबा मुफ्ती को महज 30 हजार 68 वोट ही मिले. यहां से पहले नंबर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी हसनैन मसूदी 39 हजार 898 वोट के साथ पहले नंबर पर रहे. पूरे राज्य में पीडीपी का कुल वोट 84054 है जो वोट शेयर के लिहाज से महज 2.4 फीसदी रहा है. वहीं राज्य में बीजेपी की बात करें तो यह 46.4 फीसदी रहा है.

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कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए ये चुनाव काफी बेहतर रहा. राज्य में एनसी को 3 सीटें मिली हैं. वहीं कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला. श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला 1 लाख 6 हजार 456 मतों के साथ पहले नंबर पर रहे. यहां से दूसरे नंबर पर पीडीपी प्रत्याशी आगा सैयद मोहसिन 36 हजार 609 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे.

लद्दाख से बीजेपी प्रत्याशी जमयांग शेरिंग नामंग्याल 41 हजार 315 के साथ विजयी रहे. यहां दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सज्जाद हुसैन रहे, जिन्हें कुल 31 हजार 552 वोट मिले. बारामूला से नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्यशी मो. अकबर लोन 1 लाख 32 हजार 919 मतों के साथ विजयी रहे.

उधमपुर में बीजेपी प्रत्याशी जितेंद्र सिंह 7 लाख 15 हजार 406 मतों के साथ पहले नंबर पर रहे हैं. यहां दूसरे नंबर पर 3 लाख 66 हजार 123 मतों के साथ कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह दूसरे नंबर पर रहे.

जम्मू से बीजेपी प्रत्याशी जुगल किशोर 8 लाख 40 हजार 214 मतों के साथ पहले नंबर पर रहे. यहां दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी रमन भल्ला रहे. 37.54 फीसदी मतों के साथ उन्हें 5 लाख 51 हजार 187 वोट मिले.

16 जून 2018 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से महबूबा मुफ्ती लगातार देश विरोधी और कश्मीर के युवाओं को उकसाने वाले बयान देती आ रही हैं.

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अनुच्छेद 370 और 35A पर दी धमकी

कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A की पैरवी करते हुए महबूबा कहती रही हैं कि इस राज्य को केंद्र से जोड़ने वाला ये एकमात्र पुल है. अगर ये टूटा तो कश्मीर से केंद्र का रिश्ता टूट जाएगा. महबूबा ने धमकी भरे अंदाज में यहां तक कह दिया था कि ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालो. तुम्हारी दास्तान तक भी ना होगी दास्तानों में.

पाकिस्तान की भाषा बोलती रहीं

कश्मीर के हालात के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए महबूबा मुफ्ती अब पाकिस्तान की भाषा बोल रही हैं. महबूबा कश्मीर को भारत से अलग करने की धमकी तक दे चुकी हैं. उन्होंने खुले शब्दों में कह दिया कि अगर कश्मीर से अनुच्छेद हटाने की कोशिश की गई तो घाटी में हालात बेहद बुरे हो जाएंगे.  

तो कोई तिरंगा को कंधा देने वाला नहीं होगा

महबूबा ये भी कह चुकी हैं कि कश्मीर में ऐसे ही हालात रहे तो यहां तिरंगा को कोई कंधा देने वाला नहीं बचेगा. महबूबा मुफ्ती का बड़ा वोट बैंक कश्मीर में ही रहा है, लेकिन इस बार उन्हें आवाम ने उन्हें उनके कहे की सजा दे दी. मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद पीडीपी में लगातार टूट हो रही है. पार्टी के कई बड़े नेता छोड़कर जा चुके हैं.

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राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं महबूबा

22 मई 1959 को अनंतनाग के बिजबिहाड़ा में जन्मीं महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की 13वीं और पहली महिला मुख्यमंत्री हैं. पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन होने के बाद 4 अप्रैल 2016 को महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के समर्थन के साथ CM पद की शपथ ली थी. सरकार बनने के बाद से लगातार महबूबा ऐसे फैसले लेती रहीं, जिससे बीजेपी असहज रही. दो ध्रुवों की ये दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चली और आखिरकार 19 जून 2018 को महबूबा ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने  बीजेपी पर खुलकर आरोप लगाने शुरू कर दिए. 2004 से 2009 तक महबूबा अनंतनाग से ही सांसद थीं. 2009 का चुनाव महबूबा नहीं लड़ीं.

पत्थरबाजों की हैं पैरोकार

महबूबा पत्थरबाजों की खुलकर पैरवी करती रही हैं. हिजबुल के आतंकियों का भी महबूबा ने समर्थन किया है. उन्होंने हमेशा आतंकियों को कश्मीर का बच्चा कहा. बुरहान वानी को भी उन्होंने आतंकवादी नहीं माना.

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