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युवा जोश, अनुभव और जातीय समीकरण, पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐसे चुने अपने सिपहसालार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति में कई समीकरणों का ध्यान रखा है. इसमें जातीय, सामाजिक, क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा विधानसभा चुनाव पर भी फोकस है.

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मंत्री बनाने में पीएम मोदी ने रखा कई समीकरणों का ध्यान।
मंत्री बनाने में पीएम मोदी ने रखा कई समीकरणों का ध्यान।

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57 मंत्रियों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके मंत्रिमंडल में 24 कैबिनेट, नौ राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्य मंत्री हैं. बीजेपी नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्रियों की नियुक्ति में कई समीकरणों का ध्यान रखा है. इसमें जातीय-सामाजिक, क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा काबिलियत को भी पैमाना बनाया गया है. जिन राज्यों में आने वाले वक्त में चुनाव हैं, वहां पर भी फोकस है. पिछली बार की तरह इस बार भी अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर मुख्तार अब्बास नकवी मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाए हैं.

चुनाव वाले राज्य

पश्चिम बंगाल में पांव पसारने में जुटी बीजेपी ने यहां से दो केंद्रीय मंत्री बनाए हैं. 2014 में दो सीटें जीतने वाली बीजेपी ने इस बार 18 सीटें जीती हैं. बीजेपी ने युवा चेहरे और सिंगर बाबुल सुप्रियो को फिर से राज्य मंत्री बनाया है, वहीं एक और चेहरे देबश्री चौधरी को भी मौका दिया है. 2021 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित बीजेपी को उम्मीद है कि वह 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को हराने में सक्षम होगी.

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केरल में भी 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने वामदलों के इस अंतिम दुर्ग में विस्तार की नीति के तहत राज्य के पूर्व अध्यक्ष वी मुरलीधरन को मंत्री बनाया है. झारखंड भी चुनाव वाले राज्यों में शामिल है. राज्य में गैर आदिवासी चेहरे रघुवर दास के सीएम बनने से आदिवासियों की नाराजगी  दूर करने के लिए आदिवासी चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री बनाया है. हरियाणा के 10 बीजेपी सांसदों में से तीन को पीएम मोदी ने मंत्री बनाया है. महाराष्ट्र से भी पांच मंत्री बनाए गए हैं.

बहुमत, फिर भी सहयोगियों को मौका

भले ही बीजेपी ने 303 सीटों के साथ अकेले दम पर बहुमत हासिल किया है. फिर भी बीजेपी ने मंत्रिमंडल में एनडीए के घटक दलों को भी जगह दी है. बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी, महाराष्ट्र की शिवसेना और पंजाब की अकाली दल से भी मंत्री बनाए गए हैं. हालांकि मंत्रियों की संख्या को लेकर उभरे मतभेद के कारण नीतीश की जेडीयू सरकार में शामिल नहीं हुई है.

जातीय और सामाजिक संतुलन

यूपी और उत्तराखंड में राजपूत सीएम हैं. ऐसे में बीजेपी ने दोनों राज्यों से क्रमशः महेंद्र नाथ पांडेय और रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की. इसी तरह मंत्रिमंडल में दलित, ओबीसी चेहरे शामिल किए गए हैं. हरियाणा में गैर जाट वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने अहीर, गुर्जर और दलित को केंद्रीय मंत्री बनाया है. कर्नाटक में वोक्कालिगा और लिंगायत दोनों वर्गों को बीजेपी ने साधा है. बिहार में यादव चेहरा नित्यानंद राय को भी पहली बार मंत्री बनने का मौका मिला है.

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युवा चेहरों को मौका

पिछली बार मोदी की मंत्रिपरिषद की औसत आयु 62 साल थी. इस बार कुछ युवा चेहरों को शामिल होने से औसत आयु 60 साल है. इस बार 43 साल की स्मृति ईरानी सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री हैं. इसी तरह 44 वर्षीय युवा चेहरे अनुराग ठाकुर, 46 साल के संजीव कुमार बालियान, मनसुख मंडाविया,  किरण रिजिजू (47) युवा चेहरे के तौर पर हैं.

अनुभव का भी रखा ध्यान

पिछली मोदी सरकार में नंबर दो रहे राजनाथ सिंह की भूमिका को लेकर अटकलें लग रहीं थीं. मगर उन्होंने गुरुवार को पीएम मोदी के बाद शपथ ली. माना जा रहा है कि इस बार भी वह गृहमंत्री ही बनेंगे. इस तरह देखें तो पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में तमाम समीकरणों की तरह अनुभव को भी ध्यान में रखा. नितिन गडकरी समेत पिछली कैबिनेट के कई अनुभवी चेहरे फिर से सरकार में हैं.

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