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MOTN: उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

17th Lok Sabha Election होने में अभी चंद महीने शेष हैं और सभी राजनीतिक दल चुनावी तारीखों के ऐलान से बहुत पहले ही चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. केंद्र में सत्तारुढ़ एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनाव जीतने की अपनी कोशिशों में लग गई है. ऐसे में आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ अपने सर्वे में पाया कि बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा.

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अमित शाह (फाइल-PTI)
अमित शाह (फाइल-PTI)

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17वीं लोकसभा चुनाव होने में अभी चंद महीने शेष हैं और सभी राजनीतिक दल चुनावी तारीखों के ऐलान से बहुत पहले ही चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. केंद्र में सत्तारुढ़ एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनाव जीतने की अपनी कोशिशों में लग गई है. ऐसे में आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ अपने सर्वे में पाया कि बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा.

यह आजतक-कार्वी इनसाइट्स का सर्वे है जिसमें 12,166 लोगों से सवाल पूछे गए. इसमें 69 फीसदी ग्रामीण और 31 फीसदी शहरी लोग शामिल थे. इसका दायरा 97 लोकसभा क्षेत्रों और 194 विधानसभा सीटों तक फैला था. सर्वे में 19 राज्यों को शामिल किया गया. इस सर्वे के जरिए यह जानने की कोशिश की गई कि अमित शाह का बतौर बीजेपी अध्यक्ष प्रदर्शन कैसा रहा. इस सर्वे में यह बात सामने आई कि महज 9 फीसदी लोग ही उनके प्रदर्शन को बहुत अच्छा मानते हैं, जबकि अच्छा कहने वालों की संख्या 25 फीसदी है. ऐसे में बहुत अच्छा और अच्छा कहने वालों का कुल योग 34 फीसदी हुआ.

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जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के प्रदर्शन को औसत, खराब और बहुत खराब कहने वालों की कुल संख्या 61 फीसदी पहुंच जाती है, ऐसे में माना जा सकता है कि लोगों में अमित शाह के प्रति अच्छी छवि नहीं है. सर्वे में 34 फीसदी लोग ऐसे हैं जो उनके काम को औसत करार देते हैं, तो खराब कहने वालों की संख्या 17 फीसदी और बहुत खराब कहने वालों की संख्या 10 फीसदी है. सर्वे में शामिल 5 फीसदी लोग ऐसे हैं जो कुछ नहीं कह पाने की स्थिति में हैं.

मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे के दौरान 34 फीसदी लोगों का कहना है कि अमित शाह का प्रदर्शन अच्छा या बहुत अच्छा रहा है, लेकिन इससे पहले अगस्त 2018 में कराए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे की तुलना में इस बार 16 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. हो सकता है कि इस गिरावट का कारण पिछले महीने 3 हिंदी बेल्ट राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में बीजेपी की करारी हो.

जनवरी 2019 में अमित शाह के प्रदर्शन को अच्छा/बहुत अच्छा कहने वालों की संख्या 34 फीसदी है तो जबकि अगस्त 2018 में 12,100 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में 50 फीसदी लोगों ने उनके प्रदर्शन को अच्छा/बहुत अच्छा कहा था. जनवरी, 2018 में 12,148 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में यह आंकड़ा 55 फीसदी तक था. जनवरी 2017 में 50 फीसदी लोगों ने उनके प्रदर्शन को अच्छा/बहुत अच्छा कहा. अगस्त 2016 और फरवरी 2016 में उनकी स्थिति काफी बुरी थी और क्रमशः 37 फीसदी और 38 फीसदी लोग ही उनके प्रदर्शन से संतुष्ट थे.

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खास बात यह रही कि पिछले 7 सर्वे में अमित शाह के प्रदर्शन को खराब/बहुत खराब कहने वालों की संख्या जनवरी, 2019 में बढ़ी जिसमें 27 फीसदी लोग उनसे नाराज दिखे. जबकि अगस्त 2016 और फरवरी 2016 में ऐसा कहने वालों की संख्या क्रमशः 9 और 8 फीसदी रही थी.

अगस्त 2016 में उनके प्रदर्शन को औसत कहने वालों की संख्या 39 फीसदी थी जबकि फरवरी 2016 में यह संख्या 38 फीसदी रही. इसके बाद जनवरी, 2019 में उनके प्रदर्शन को औसत कहने वालों की संख्या 34 फीसदी रही.

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