नोटबंदी के फैसले को 2 साल से अधिक समय हो गया है लेकिन अभी भी देश में लोग नोटबंदी से हुई परेशानी को भूले नहीं हैं. इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के राष्ट्रव्यापी मूड ऑफ द नेशन पोल के नतीजे कह रहे हैं कि 72 फीसदी लोगों का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से आम आदमी को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है.
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान करते हुए सर्वाधिक चलन वाली 500 और 1000 रुपये की करेंसी को अमान्य घोषित कर दिया था. इस फैसले के बाद जहां पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बना वहीं दोनों संगठित और असंगठित क्षेत्रों के कारोबार पर प्रभाव पड़ा.
नोटबंदी के प्रभाव पर विस्तृत सवाल लेकर इंडिया टुडे कार्वी इनसाइट ने देश की 97 संसदीय क्षेत्रों में 12,166 इंटरव्यू किए. इनमें 72 फीसदी लोग मान रहे हैं कि नोटबंदी के फैसले से फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है. जनवरी 2019 तक मूड ऑफ दि नेशन में 20 फीसदी लोगों का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से छोटे कारोबारी पूरी तरह से तबाह हो गए.
वहीं 16 फीसदी लोगों का कहना है कि इस फैसले से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई तो 14 फीसदी कह रहे हैं कि नोटबंदी ने देश के किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया है. खासबात है कि कुल 22 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि इस फैसले ने सभी छोटे कारोबारियों, किसान और नौकरीपेशा लोगों को बेरोजगार करने का काम किया.
गौरतलब है कि जनवरी 2019 के इस मूड ऑफ दि नेशन से पहले हुए सभी सर्वे में ऐसा ही नतीजा देखने को मिला है. अगस्त 2018 के मूड ऑफ द नेशन में जहां 73 फीसदी लोग मानते हैं कि नोटबंदी से फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है वहीं जनवरी 2018 में भी 73 फीसदी लोगों का ऐसा मानना था. अगस्त 2017 में कराए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे में 61 फीसदी लोग ऐसा मानते थे.
सर्वे के मुताबिक 12 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जिनका मानना है कि नोटबंदी से कुछ नुकसान तो हुआ लेकिन फैसले से कालेधन पर लगाम लगाने में मदद भी मिली है. वहीं 4 फीसदी लोगों का कहना है कि नोटबंदी से कुछ नुकसान हुआ लेकिन इससे अर्थव्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी आई है. वहीं 7 फीसदी अन्य लोगों का मानना है कि नोटबंदी से दोनों कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिली है. 5 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जिनका इस सवाल पर कोई मत नहीं है.
इंडिया टुडे कार्वी इनसाइट्स के इस सर्वे के मुताबिक जहां उत्तर और पूर्वी भारत में क्रमश: 66 और 67 फीसदी लोग नोटबंदी से नुकसान बता रहे हैं वहीं दक्षिण भारत में 86 फीसदी लोग इस फैसले से नुकसान होने की बात कह रहे हैं. वहीं पश्चिम भारत में 69 फीसदी लोग नोटबंदी से नुकसान ज्यादा और फायदा कम बता रहे हैं.
वहीं रोजगार क्षेत्र के मुताबिक 75 फीसदी कारोबारी इसे नुकसान वाला कदम बता रहे हैं तो 71 फीसदी स्वरोजगारी और 70 फीसदी किसान नोटबंदी से नुकसान का दावा कर रहे हैं. 74 फीसदी बेरोजगार और 73 फीसदी छात्र नोटबंदी में कोई फायदा नहीं देखते हैं. 69 फीसदी महिलाएं दावा कर रही हैं कि नोटबंदी के फैसले से उन्हें फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है.