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MOTN: TMC, SP, BSP के यूपीए में शामिल होने से NDA को होगा नुकसान

Mood of the nation (MOTN) loksabha election 2019 में बीजेपी की राह बेहद कठिन लग रही है. मूड ऑफ द नेशन बताता है कि अगर तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी UPA के साथ जुड़ जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान एनडीए को होगा. यूपीए का वोट शेयर जहां 44 फीसदी रहेगा तो वहीं एनडीए का वोट शेयर 39 फीसदी रहेगा. जबकि अन्य का वोट शेयर 21 फीसदी तक रहने का अनुमान है.

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पीएम मोदी और अमित शाह(फाइल फोटो)
पीएम मोदी और अमित शाह(फाइल फोटो)

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आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राह बेहद कठिन होने वाली है. जिस तरह से उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा साथ आए हैं और कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया है उससे तो यही संकेत मिल रहे हैं. यही नहीं आजतक और कर्वी इनसाइट्स के सर्वे में भी एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. देश का मिजाज यानी मूड ऑफ द नेशन बताता है कि अगर तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी UPA के साथ जुड़ जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान एनडीए को होगा. यूपीए का वोट शेयर जहां 44 फीसदी रहेगा तो वहीं एनडीए का वोट शेयर 35 फीसदी रहेगा. जबकि अन्य का वोट शेयर 21 फीसदी रहेगा.

सीटों की बात की जाए तो 2014 चुनाव में 336 सीट हासिल करने वाला एनडीए 219 सीटों तक सीमित रह जाएगा. वहीं यूपीए को बंपर फायदा होता दिख रहा है. यूपीए को 269 सीट मिलती दिख रही हैं. वहीं अन्य के खाते में 55 सीटें जा सकती हैं.

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बता दें कि यहां एनडीए में जो दल शामिल हैं उनमें भारतीय जनता पार्टी, ऑल इंडिया एन रंगास्वामी कांग्रेस, अपना दल, बोडो पीपुल्स फ्रंट, डीएमडीए,जेडीयू, एलजेपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, पीएमके, नेशनल पीपुल्स पार्टी, आरपीआई(ए), शिरोमणि अकाली दल, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट,शिवसेना हैं.

वहीं यूपीए में कांग्रेस के अलावा डीएमके, जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, जेएमएम, केरल कांग्रेस (मणि), आईयूएमएल, एनसीपी, आरजेडी,आरएलडी, टीडीपी शामिल हैं. अन्य दलों में आम आदमी पार्टी, असम गण परिषद, अन्नाद्रमुक, फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस, एआईयूडीएफ, बीजू जनता दल,सीपीआई, सीपीआई-एम, इंडियन नेशनल लोकदल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, केरल कांग्रेस(जोसेफ), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एनएलपी,आरएसपी, टीआरएस, वायएसआर कांग्रेस, इंडिपेंडेंट्स, एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन शामिल है.

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जो प्रचंड बहुमत मिला और कांग्रेस जिस तरह 44 सीटों तक सिमट गई उसके बाद विपक्षी दलों में साफ संदेश गया कि बीजेपी को हराना किसी एक दल के बस की बात नहीं है.

2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले भारी बहुमत ने सपा-बसपा जैसे दलों को एक साथ आने पर मजबूर कर दिया. फूलपुर-गोरखपुर और कैराना उपचुनावों में इस गठबंधन का प्रयोग सफल रहा. मौजूदा वक्त में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा और आरएलडी एकसाथ आ गए हैं.

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