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Muzaffarnagar Lok Sabha Chunav Result 2019: अजित सिंह फिर हारे, संजीव बलियान ने मारी बाजी

Lok Sabha Chunav Muzaffarnagar Result 2019: मुजफ्फरनगर सीट से मौजूदा सांसद भाजपा प्रत्याशी संजीव कुमार बालियान ने गठबंधन उम्मीदवार राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख चौधरी अजित सिंह को 6526 मतों से हरा दिया है.

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Muzaffarnagar Lok Sabha Election Result 2019
Muzaffarnagar Lok Sabha Election Result 2019

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17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर सीट से मौजूदा सांसद भाजपा प्रत्याशी संजीव कुमार बालियान ने गठबंधन उम्मीदवार राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख चौधरी अजित सिंह को 6526 मतों से हरा दिया है. इस सीट पर आरएलडी और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई थी.

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कब  और  कितनी  हुई  वोटिंग

मुजफ्फरनगर सीट  पर  वोटिंग पहले चरण  में  11 अप्रैल  को  हुई  थी,  इस सीट पर  68.20 फीसदी लोगों ने अपने  मताधिकार  का  इस्तेमाल  किया  था.  मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर कुल 1692313 मतदाता हैं, जिनमें से 1154158 लोगों ने वोट डाला है.

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कौन-कौन प्रमुख  उम्मीदवार

सामान्य  वर्ग  वाली  इस  सीट  पर  सत्तारूढ़  भारतीय  जनता  पार्टी  से संजीव बालियान चुनाव  प्रत्याशी थे, जिनका सीधा मुकाबला आरएलडी के चौधरी अजित सिंह से था. सपा-बसपा का अजित सिंह को समर्थन रहा. इस सीट से कुल 10 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे थे.

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2014 का चुनाव

2014 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट पर 69.42 फीसदी वोटिंग हुई थी. बीजेपी के संजीय बालियान 58.98 फीसदी के साथ  (6,53,391) वोटों के मिले थे और उनके  निकटतम बसपा के कादिर राणा को 22.77 फीसदी (2,52,241) वोट मिले थे. इसके अलावा सपा के वीरेंद्र सिंह को 14.52 फीसदी (1,60,810) वोट मिले थे. इस तरह से संजीव बालियान ने 4,01,150 से जीत हासिल की थी.

मुजफ्फरनगर सीट का इतिहास

शुरुआती कई साल इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा. 1952 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1962 तक ये सीट कांग्रेस के खाते में ही रही, जिसके बाद लगातार दो बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने जीत दर्ज की थी. 1977 से 1991 तक ये सीट जनता दल, कांग्रेस के खाते में रही.

1990 के आसपास जब देश में राम मंदिर का मुद्दा चरम पर था तो उसका असर यहां भी देखने को मिला. 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में यहां पर लगातार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1999 में जब फिर से चुनाव हुए तो कांग्रेस ने सीट छीन ली. हालांकि, 2004 और 2009 में ये सीट क्रमश: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई. और 2014 में चली मोदी लहर ने इस सीट को दोबारा बीजेपी की झोली में डाल दिया.

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