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नगालैंड लोकसभा सीट का क्या है सियासी गणित, क्या BJP हो रही मजबूत?

नगालैंड लोकसभा सीट से साल 2014 में नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के नेफियू रियो ने जीत दर्ज की थी, लेकिन राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने सांसद पद से और एनपीएफ से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ज्वाइन कर ली थी और सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. वहीं, नगालैंड लोकसभा सीट पर मई 2018 में हुए उपचुनाव में एनडीपीपी के तोखेहो येपथेमी ने जीत हासिल की थी.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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नगालैंड राज्य में लोकसभा की एक सीट है, जिसमें पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है. 10 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. साल 2014 में इस सीट से नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के नेफियू रियो ने जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सांसद पद और एनपीएफ से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद नेफ्यू ने नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ज्वाइन कर ली थी.

वहीं, नेफियू रियो के इस्तीफे के बाद नगालैंड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तोखेहो येपथेमी ने जीत दर्ज की थी. नगालैंड राज्य का गठन एक दिसंबर 1963 को हुआ था. पूर्वोत्तर राज्य की राजधानी कोहिमा है और राजभाषा अंग्रेजी है. इसकी सीमा उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम, पूर्व में बर्मा और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक इस राज्य की आबादी कुल 19 लाख 80 हजार 602 है. यह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है.

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सामाजिक तानाबाना

नगालैंड लोकसभा सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एससी जमीर ने निर्विरोध जीत दर्ज की थी. हालांकि बाद में उन्होंने नगालैंड नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन ज्वाइन कर लिया था. 2014 तक इस सीट पर 13 बार चुनाव हुए, जिनमें से पांच बार कांग्रेस को विजय मिली. साल 2014 में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफियू रियो सांसद चुने गए थे.

नगालैंड में 60 सदस्यीय विधानसभा है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी को 18, बीजेपी को 12 सीटों और नेशनल पीपुल्स पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने सूबे में सरकार बना ली. वर्तमान में नेफियू रियो सूबे के मुख्यमंत्री हैं.

इस राज्य की राजभाषा अंग्रेजी है और ज्यादातर लोग अंग्रेजी भाषा बोलते हैं. यह ईसाई बहुल लोकसभा सीट है. इस राज्य में हाल ही में जातीय हिंसा देखने को मिली थी. इसके अलावा साल 1950 में विद्रोह भी देखने को मिला था.

पिछली लोकसभा में जनादेश

साल 2014 में नगालैंड लोकसभा सीट से नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफियू रियो नेफियू ने जीत दर्ज की थी. हालांकि सूबे में हुए विधानसभा चुनाव के बाद नेफियू रियो ने इस्तीफा दे दिया था. फिलहाल नेफियू रियो नगालैंड के मुख्यमंत्री हैं.

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इसके बाद यह सीट खाली हो गई थी और फिर 28 मई 2018 को उपचुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी के समर्थन वाले एनडीपीपी के उम्मीदवार तोखेहो येपथेमी ने एक लाख 73 हजार 746 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

इस उपचुनाव में एनडीपीपी उम्मीदवार तोखेहो येपथेमी को कुल 5 लाख 94 हजार 205 और एनपीएफ के उम्मीदवार अपोक जमीर को 4 लाख 20 हजार 459 वोट मिले थे, जबकि नोटा के पक्ष में 3 हजार 991 वोट पड़े थे. इस उपचुनाव में बीजेपी ने एनडीपीपी और कांग्रेस ने एनपीएफ का समर्थन किया था.

इस उपचुनाव में करीब 70 फीसदी वोटिंग हुई थी. बीजेपी, एनडीपीपी और पीपल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने संयुक्त रूप से नगालैंड सीट पर पूर्व मंत्री तोखेहो येपथेमी को उतारा था, जबकि कांग्रेस ने एनपीएफ उम्मीदवार अपोक जमीर को समर्थन दिया था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

नगालैंड सीट से फिलहाल एनडीपीपी के तोखेहो येपथेमी सांसद हैं. उन्होंने मई 2018 में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. एक अप्रैल 1956 को नगालैंड के लुविशे में जन्मे तोखेहो येपथेमी ने शिलांग के एडमंड कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने 15 दिसंबर 1983 को रुथ तोखेहो से शादी की थी, जिससे उनको एक बेटा और तीन बेटियां हैं. तोखेहो येपथेमी 5 बार नगालैंड विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. वो नगालैंड सरकार में कई बार मंत्री भी रहे हैं. इसके अलावा तोखेहो नगालैंड विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं.

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