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नगालैंड लोकसभा सीटः कौन-कौन है उम्मीदवार, किसके बीच होगी कड़ी टक्कर

साल 2014 में नगालैंड लोकसभा सीट पर नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के नेफियू रियो ने जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सांसद पद और एनपीएफ से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ज्वाइन कर ली थी. नेफियू रियो के इस्तीफे के बाद नगालैंड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तोखेहो येपथेमी ने जीत दर्ज की थी.

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नगालैंड लोकसभा सीट पर 4 उम्मीदवार (फाइल-PTI)
नगालैंड लोकसभा सीट पर 4 उम्मीदवार (फाइल-PTI)

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ईसाई बहुल नगालैंड राज्य की एकमात्र नगालैंड लोकसभा सीट पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी समर्थित सांसद काबिज है. 2018 में नगालैंड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने एनडीपीपी के तोखेहो येपथेमी को अपना समर्थन दिया और वह विजयी रहे थे. यहां पर राष्ट्रीय दलों की तुलना में स्थानीय दलों की मजबूत पकड़ है. नगालैंड में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है.

नगालैंड लोकसभा सीट पर इस बार 4 उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस की ओर से केएल चिशी, नेशनल पीपुल्स पार्टी के हायुथंग तोंगे के अलावा निवर्तमान सांसद तोखेहो येपथेमी ने नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के टिकट पर अपनी दावेदारी पेश की है. पिछली बार उन्हें बीजेपी का भी समर्थन मिला था. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर एमएम थारोमवा कोन्याक मैदान में है.

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2014 में जीते थे नेफियू रियो

साल 2014 में नगालैंड लोकसभा सीट पर नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के नेफियू रियो ने जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सांसद पद और एनपीएफ से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) ज्वाइन कर ली थी. नेफियू रियो के इस्तीफे के बाद नगालैंड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तोखेहो येपथेमी ने जीत दर्ज की थी.

नगालैंड लोकसभा सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एससी जमीर ने निर्विरोध जीत दर्ज की थी. हालांकि बाद में उन्होंने नगालैंड नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन ज्वाइन कर लिया था. 2014 तक इस सीट पर 13 बार चुनाव हुए, जिनमें से 5 बार कांग्रेस को विजय मिली. साल 2014 में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफियू रियो सांसद चुने गए थे.

1963 में बना था नगालैंड

नगालैंड राज्य का गठन एक दिसंबर 1963 को हुआ था. इस पूर्वोत्तर राज्य की राजधानी कोहिमा है और राजभाषा अंग्रेजी है. इसकी सीमा उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम, पूर्व में बर्मा और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक इस राज्य की आबादी कुल 19,80,602 है. यह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है.

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नगालैंड में 60 सदस्यीय विधानसभा है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी को 18, बीजेपी को 12 सीटों और नेशनल पीपुल्स पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने सूबे में सरकार बना ली. वर्तमान में नेफियू रियो सूबे के मुख्यमंत्री हैं.

ईसाई बहुल इस लोकसभा सीट पर इस राज्य में हाल ही में जातीय हिंसा देखने को मिली थी. इसके अलावा साल 1950 में विद्रोह भी देखने को मिला था.

साल 2014 में नगालैंड लोकसभा सीट से नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफियू रियो नेफियू ने जीत दर्ज की थी. हालांकि सूबे में हुए विधानसभा चुनाव के बाद नेफियू रियो ने इस्तीफा दे दिया था. फिलहाल नेफियू रियो नगालैंड के मुख्यमंत्री हैं.

2018 में उपचुनाव

इसके बाद यह सीट खाली हो गई थी और फिर 28 मई 2018 को उपचुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी के समर्थन वाले एनडीपीपी के उम्मीदवार तोखेहो येपथेमी ने 1,73,746 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. फिर हुए उपचुनाव में एनडीपीपी उम्मीदवार तोखेहो येपथेमी को कुल 5,94,205 और एनपीएफ के उम्मीदवार अपोक जमीर को 4,20,459 वोट मिले थे, जबकि नोटा के पक्ष में 3,991 वोट पड़े थे. इस उपचुनाव में बीजेपी ने एनडीपीपी और कांग्रेस ने एनपीएफ का समर्थन किया था.

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2018 में हुए इस उपचुनाव में करीब 70 फीसदी वोटिंग हुई थी. बीजेपी, एनडीपीपी और पीपल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने संयुक्त रूप से नगालैंड सीट पर पूर्व मंत्री तोखेहो येपथेमी को उतारा था, जबकि कांग्रेस ने एनपीएफ उम्मीदवार अपोक जमीर को समर्थन दिया था.

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