मध्य पूर्वी तमिलनाडु के नागपट्टनम लोकसभा सीट वामपंथी राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है. यहां दलित समाज के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां 35 फीसदी से ज्यादा दलित समाज के लोग रहते हैं. यह सुरक्षित सीट है. पुराने जमाने में चोल राजवंश के तहत आने वाले इस जिले पर आजादी से पहले पुर्तगाली और डच शासन रहा. यहां मछली पकड़ना, कृषि और टूरिज्म प्रमुख व्यवसाय हैं. 2004 में आई सुनामी ने यहां भारी तबाही मचाई थी. हालांकि, पिछले 15 वर्षों में यह शहर उस तबाही से काफी हद तक उबर चुका है.
जहां तक बात राजनीति की है तो यह सीट वामपंथी राजनीति का गढ़ रही है. सीपीआई ने यहां सबसे ज्यादा छह बार जीत हासिल की है. 1957 से अब तक छह बार सीपीआई, और कांग्रेस-डीएमके चार-चार बार जीत हासिल कर चुके हैं. 2009 में यहां डीएमके और 2014 में एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की. डॉक्टर के. गोपाल यहां से सांसद हैं.
राजनैतिक पृष्ठभूमि
नागपट्टनम सीट सीपीआई का गढ़ रही है. 1957, 1962 और 1967 में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. लेकिन सीपीआई ने 1971, 1977 और 1979 के उपचुनाव में यहां जीत दर्ज की. लेकिन 1980 में डीएमके ने जीत दर्ज की. जबकि 1984 में एआईएडीएमके ने यहां पहली बार जीत हासिल की. 1989 में सीपीआई ने यहां वापसी की. 1991 में कांग्रेस ने फिर यहां से जीत हासिल की. लेकिन 1996 और 1998 में सीपीआई ने यहां वापसी की. फिर आई डीएमके की बारी. 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार यह पार्टी यहां से जीती. लेकिन 2014 में एआईएडीएमके ने डीएमके से यह सीट छीन ली.
सामाजिक तानाबाना
चिदंबरम सीट पर कुल मतदाता 1210626 है. जिसमें पुरुषों का प्रतिशत 50.08 है बकि महिलाओं का फीसद 49.91 है. प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की तादाद 997 है.
विधानसभा सीटों का समीकरण
पेरंबलूर लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं- नन्नीलम, तिरूवरूर, नागपट्टनम, वेदरनयम, तिरूथुराईपुंडी (सुरक्षित) और किलवेलूर (सुरक्षित). यहां डीएमके और एआईएडीएमके के पास तीन-तीन सीटें हैं.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के डॉ. के. गोपाल ने जीत हासिल की थी. डॉ. के. गोपाल को यहां से 434174 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर डीएमके के ए. विजयन रहे, जिन्हें 328095 वोट मिले थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
डॉ. के. गोपाल यहां से पहली बार 2014 में लोकसभा सांसद बने. उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक है. वे 16 वीं लोकसभा में कई मंत्रालयों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं. 6 फरवरी, 2019 के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा में उनकी उपस्थिति 78 फीसदी रही है. उन्होंने 40 बहसों में हिस्सा लेते हुए इस दौरान 328 प्रश्न पूछे. उन्होंने अपनी सांसद निधि से 79.36 फीसदी रकम अपने क्षेत्र के विकास पर खर्च की.