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नांदयाल लोकसभा सीट: जीत का चौका लगाने की जुगत में मौजूदा MP, TDP-YSRCP की कड़ी चुनौती

राजनीतिक रूप से नांदयाल एक प्रासंगिक शहर है. यह एकमात्र ऐसा शहर है जहां से भारत को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों मिले हैं. भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी इस निर्वाचन क्षेत्र से थे. इसके अलावा 1977 में वह इस निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले एकमात्र गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार थे. रेड्डी के अलावा दूसरा बड़ा नाम आता है पी.वी. नरसिम्हा राव का. राव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं.

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एस पी वाई रेड्डी, प्रत्याशी, जनसेना पार्टी
एस पी वाई रेड्डी, प्रत्याशी, जनसेना पार्टी

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नांदयाल लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद चौथी बार जीत हासिल करने की चुनावी जंग लड़ रहे हैं. ये इलाका पहले कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. मौजूदा एमपी एसपीवाई रेड्डी 2004 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. 2014 में वह वाईएसआरसीपी के टिकट पर चुनाव जीते. इसके बाद वे टीडीपी में आ गए. लेकिन यहां भी वे लंबे समय तक नहीं टिक पाए. लोकसभा चुनाव 2019 में जनसेना पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

इस सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. YSRCP ने इस सीट से ब्रह्मनंद रेड्डी को मैदान में उतारा है. जबकि टीडीपी ने मंद्रा सिवानंद रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से बीजेपी कैंडिडेट आदिनारायण हैं. कांग्रेस ने इस सीट से जे लक्ष्मी नरसिम्हा यादव को मैदान में उतारा है.

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राजनीतिक रूप से नांदयाल एक प्रासंगिक शहर है. यह एकमात्र ऐसा शहर है जहां से भारत को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों मिले हैं. भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी इस निर्वाचन क्षेत्र से थे. इसके अलावा 1977 में वह इस निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले एकमात्र गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार थे. रेड्डी के अलावा दूसरा बड़ा नाम आता है पी.वी. नरसिम्हा राव का. राव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने 1991 में नांदयाल लोकसभा क्षेत्र से 5.8 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी, उनकी यह जीत गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज की गई.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

नांदयाल लोकसभा का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. 1952 में हुए पहले आम चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शेष गिरी ने जीत दर्ज की. हालांकि, इसके बाद हुए 4 आम चुनावों में कांग्रेस नेता पेंडेकांति ने लगातार जीत का परचम लहराया. इस बीच सियासत ने करवट ली और आंध्र प्रदेश के सियासी माहौल में भूचाल लाने वाला पल आ गया.

आंध्र प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी ने पार्टी से बगावत कर दी और जनता पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद 1977 के आम चुनाव में रेड्डी ने 35 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से पेंडेकांति को हराया. लेकिन जनता पार्टी इस जीत को सिलसिले में तबदील करने में विफल रही और रेड्डी के पद से त्याग पत्र देने के बाद तुरंत हुए उपचुनाव में इस सीट पर दोबारा पेंडेकांति ने जीत दर्ज की.

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कांग्रेस नेता पेंडेकांति ने इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 बार आम चुनाव अपने नाम किए. इस बीच 1982 में तेलुगू देशम पार्टी की स्थापना हुई. टीडीपी की स्थापना के बाद हुए आम चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी को 4 बार, कांग्रेस को 6 बार और वाईएसआर कांग्रेस ने एक बार जीत हासिल की. वहीं, अभी तक हुए सभी आम चुनाव को देखें तो सबसे ज्यादा 12 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है.

मौजूदा सांसद एसपीवाई रेड्डी ने इस सीट पर लगातार तीन बार से सांसद हैं. हालांकि, 2004 और 2009 का आम चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते. जिसके बाद 2014 आम चुनाव से पहले उन्होंने पाला बदला और वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया, चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे. हालांकि, यहां भी ज्यादा दिन नहीं और अब वह तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए हैं.

सामाजिक ताना-बाना

दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश की नांदयाल लोकसभा सीट के अंतर्गत 7 विधानसभाएं आती हैं. इनमें से छह (अल्लागड्डा, श्रीशैलम, नंदीकोटकुर, पनयाम, नांदयाल और धोने) पर वाईएसआर कांग्रेस के विधायक हैं, वहीं बनागानापल्ली विधानसभा सीट पर टीडीपी का कब्जा है. 2014 के आम चुनावों के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 15,76,945 मतदाता हैं. इसमें से 7,83,126 पुरुष मतदाता हैं और 7,93,585 महिला मतदाता हैं.

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2014 का जनादेश

2014 में नांदयाल आम चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस ने 51.65% से अधिक मतों से जीत दर्ज की और अपने निकटतम टीडीपी उम्मीदवार नसीम मोहम्मद फारूक को 1,05,766 मतों के अंतर से मात दी. 2014 में यहां 76.71 फीसदी लोगों ने वोटिंग की. 2014 के आम चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे एस पी वाई रेड्डी ने 51.45 फीसदी वोट प्राप्त किए. वहीं, टीडीपी को 42.71 फीसदी और कांग्रेस को महज 1.35 फीसदी वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

एस पी वाई रेड्डी नांदयाल लोकसभा से तीन बार सांसद रहे हैं. उन्होंने 2004 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर और 2014 में वाईएसआरसीपी के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन अब वे टीडीपी में हैं. सांसद रेड्डी की लोकसभा में 14 फीसदी उपस्थिति रही है. साथ ही उन्होंने सदन में एक भी सवाल नहीं पूछा है. न ही उन्होंने किसी बहस में हिस्सा लिया.

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