2019 के चुनावी महासमर की आधी जंग पूरी हो चुकी है और आधी अभी लड़ी जानी है. अब हर किसी की नजर टिकी है उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट पर. बाबा भोले नाथ की ये नगरी देश की सबसे वीआईपी सीट है क्योंकि यहां के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. 2014 में पीएम मोदी यहां जीते और अब एक बार फिर इसी जगह से दोबारा मैदान में हैं.
2014 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात की राजनीति छोड़ देश की राजनीति करने निकले तो उन्होंने अपने डेब्यू के लिए काशी को ही चुना. क्योंकि साधना पूरे देश को था, इसलिए उसके लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को साधना जरूरी था.
मोदी वाराणसी आए तो हर हर मोदी-घर घर मोदी का नारा 2014 में खूब गूंजा, मोदी ने भी कहा कि उन्हें किसी ने भेजा नहीं है बल्कि मां गंगा ने उन्हें बुलाया है. मोदी की ये बात 5 साल उनके साथ ही रही.
पिछली बार दिखाया था दम
पहली बार जब मोदी ने वाराणसी से नामांकन किया, तो नजारा भव्य था. बीएचयू से लेकर नामांकन भरने की जगह तक नरेंद्र मोदी का रोड शो था और उस दिन मानो पूरी काशी ही भगवामय हो गई थी. वाराणसी से लड़ने के मतलब सिर्फ एक सीट ही नहीं होता है, बल्कि इससे पूर्वांचल और बिहार तक संदेश जाता है.
मोदी के उस रोड शो ने तब लहर को सुनामी में बदल दिया था, वैसी ही कोशिश इस बार भी बीजेपी करना चाह रही है. 26 अप्रैल को नरेंद्र मोदी का काशी से नामांकन है, ऐसे में तैयारी पूरी है. इस बार भी रोड शो है, मंदिर में पूजा अर्चना है, गंगा आरती का कार्यक्रम है, मतलब नजारा पूरी तरह से भव्य ही रहने वाला है.
चुनौती देने पहुंचे थे कई दिग्गज
अगर 2014 की बात करें तो जब नरेंद्र मोदी ने काशी से लड़ने की ठानी तो हर किसी की नजर वहां दौड़ी. और उनके खिलाफ लड़ने वालों की लाइन लग गई, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी तब उनके खिलाफ लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना ही करना पड़ा.
2014 के चुनाव में मोदी को यहां 5 लाख से अधिक वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे अरविंद केजरीवाल को करीब 2 लाख, वहीं कांग्रेस के अजय राय तीसरे नंबर पर रहे थे.
इस बार भी कई मैदान में
इस बार भी पीएम के खिलाफ मैदान में उतरने वाले कम नहीं हैं, उनके खिलाफ इस बार पूर्व जज, तमिलनाडु के किसान के अलावा राजनीतिक दलों के कई प्रत्याशी मैदान में हैं. यहां तक कि इस बार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के भी वाराणसी से चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरो पर हैं, मतलब लड़ाई दिलचस्प ही होगी.
बीते 5 साल में पीएम रहते नरेंद्र मोदी कई बार काशी गए, कई विदेशी मेहमानों को भी उन्होंने वाराणसी की सैर करवाई और विश्व पटल पर काशी को पहचान दिलाने की कोशिश की. मोदी का कहना है कि उन्हें काशी को विरासत को छेड़े बिना उसे आधुनिक बनाने का काम किया है, विरोधियों का कहना है कि मोदी ने काशी की सांस्कृतिक विरासत को ठेस पहुंचाई है. लेकिन जनता को क्या पसंद है, वो तो चुनाव में ही पता लगेगा.
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