केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आजतक के विशेष कार्यक्रम के 'सुरक्षा सभा' में शामिल हुए और इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया. रक्षा बजट को बढ़ाए जाने के सवाल पर अरुण जेटली ने कहा कि जब 4 फीसदी होता था तब पूरा बजट 40000 करोड़ होता था. अब इतने में तो सिर्फ सैलरी और वन रैंक- वन पेंशन में ही खर्च हो गया है. उन्होंने कहा कि ईमानदारी से लोग टैक्स दें ताकि सेना की जरूरत को पूरा किया जा सके और रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी की जा सके.
जेटली ने कहा कि डिफेंस के एक्सपेंडिचर को बढ़ाना है. बैकलॉग ऑफ परचेज को क्लियर करने के लिए रुपये की जरूरत है. रक्षा बजट के लिए साल में करीब एक लाख करोड़ की अतरिक्त जरूरत है. राजीव गांधी के समय में जो 4 फीसदी रक्षा बजट था, उस समय पूरा बजट जितने करोड़ का होता था. उसमें पेंशन और वेतन भी था. हम तो आज वन रैंक- वन पेंशन के लिए दे रहे हैं.
जेटली ने कहा कि पिछले पांच सालों में हमने टैक्स के दायरे को बढ़ाया है. इससे लोगों के टैक्स देने की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. अगर देश के सभी लोग ईमानदारी से टैक्स दें तो रक्षा बजट को बढ़ाया जा सकता है और और सेना की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पाकिस्तान के रवैये पर कहा कि उसने कभी नहीं माना कि कश्मीर भारत का हिस्सा है. जब पाकिस्तान 1947, 1965 और 1971 की जंग हार गया तब उसने आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया. भारत ने राजनयिक मोर्चे पर कई प्रयास किए, पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की.
अरुण जेटली ने कहा कि इस बार एयरफोर्स ने पाकिस्तान की सीमा में खैबर पख्तूनख्वा में जाकर सटीक प्रहार किया. इस हमले से हमने वो अवधारणा तोड़ दी जिसमें कहा जाता था कि भारत नियंत्रण रेखा की पवित्रता बरकरार रखेगा, क्योंकि हमारी कार्रवाई के बाद दुनिया के किसी भी राष्ट्र ने हमारी आलोचना नहीं की. वजह ये थी कि हमने एहतियातन हमले किए जिसमें निर्दोष लोगों या पाकिस्तान की सेना को निशाना नहीं बनाया. हमने सिर्फ वहां के आतंकी कैंपों को निशाना बनाया.