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मोदी लहर में भी नहीं रुका था नवीन पटनायक का रथ, इस बार बढ़ी चुनौती

अपने पिता बीजू पटनायक की मौत के बाद नवीन पटनायक ने राजनीति में कदम रखा. नवीन पटनायक ने अपने पिता के नाम पर बीजू जनता दल का गठन किया और एक साल बाद 1997 में राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने.

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नवीन पटनायक के सामने ओडिशा में भाजपा-कांग्रेस को रोकने की चुनौती है
नवीन पटनायक के सामने ओडिशा में भाजपा-कांग्रेस को रोकने की चुनौती है

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नवीन पटनायक ओडिशा के प्रमुख कद्दावर नेताओं में से एक और मौजूदा समय में राज्य के मुख्यमंत्री हैं. नवीन पटनायक बीजू जनता दल के प्रमुख हैं. पटनायक समृद्ध राजनीतिक विरासत से आते हैं. उनके पिता बीजू पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री थे. नवीन पटनायक लगातार चार बार से ओडिशा में सत्ता में हैं.

नवीन पटनायक की शादी ग्यान से हुई है. नवीन पटनायक की शुरुआती पढ़ाई देहरादून से हुई. इसके बाद वह दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे और अपनी युवावस्था में एक लेखक के तौर पर नाम कमाया. उस दौरान वह ओडिशा और राजनीति दोनों से दूर थे.नवीन पटनायक के विरोधी उनकी आलोचना करते हैं कि उन्हें उड़िया बोलनी नहीं आती, लेकिन उनका अपने राज्य के लोगों पर काफी प्रभाव है.


पिता के नाम पर किया पार्टी का गठन
अपने पिता बीजू पटनायक की मौत के बाद नवीन पटनायक ने राजनीति में कदम रखा. नवीन पटनायक ने अपने पिता के नाम पर बीजू जनता दल का गठन किया और एक साल बाद 1997 में राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने. नवीन पटनायक ने भ्रष्टाचार विरोधी और गरीबों के साथ खड़े होने के नारे दिए, जिससे उनको राज्य में काफी समर्थन मिला.

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अटल सरकार में रहे केंद्रीय मंत्री
नवीन पटनायक अपने पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद जनता दल के नेता थे. वह 11वीं लोकसभा में अस्का से लोकसभा का चुनाव जीते. यह उनके पिता बीजू पटनायक की भी लोकसभा सीट रही है. चुनाव जीतने के बाद जनता दल में फूट पड़ गई और बीजू जनता दल का का गठन किया. इसके बाद वह एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़े और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में खनन मंत्री भी रहे.


2000 में बने राज्य के मुख्यमंत्री
1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी नवीन पटनायक ने यह सीट अपने पास बरकरार रखी. 2000 में भाजपा के साथ चुनाव लड़कर बीजेडी ने ओडिशा विधानसभा में बहुमत हासिल किया और नवीन पटनायक मुख्यमंत्री बने. 2004 के लोकसभा चुनावों में एनडीए की हार हुई लेकिन विधानसभा चुनावों में पटनायक की पार्टी को बहुमत मिला.


2009 और 2014 में मिली बंपर जीत

2009 के लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में बीजद ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया. इन चुनावों में बीजद थर्ड फ्रंट के साथ मिलकर लड़ा और 21 में से 14 लोकसभा सीटों और 147 में से 103 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की. कमोबेश यही हाल 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों का भी रहा. इस साल बीजद ने 21 में से 20 लोकसभा सीट और 147 में से 117 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की.

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पटनायक के सामने कांग्रेस-भाजपा को रोकने की चुनौती

ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो रहे हैं. नवीन पटनायक ने इन विधानसभा चुनावों में इस बार अपनी पारंपरिक सीट हिंजली के अलावा पश्चिमी ओडिशा की बीजेपुर विधानसभा सीट से भी नामांकन दाखिल किया है. उनके ऐसा करने की वजह पश्चिमी ओडिशा में कांग्रेस और भाजपा की बढ़त को रोकना है.

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