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'न्याय' की आलोचना अर्थशास्त्री के तौर पर की, नीति आयोग उपाध्यक्ष का EC को जवाब

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चुनाव आयोग के नोटिस पर अपना जवाब दे दिया है. उनका कहना है कि न्याय योजना पर की गई उनकी टिप्पणी सिर्फ निजी विचार हैं.

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राजीव कुमार ने EC को सौंपा जवाब
राजीव कुमार ने EC को सौंपा जवाब

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लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र चुनाव आयोग इस समय सख्ती बरते हुए है, उसकी नजर हर बयान पर है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की न्याय योजना पर टिप्पणी करने वाले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपना जवाब आयोग को दे दिया है. राजीव कुमार का कहना है कि उनकी टिप्पणी सिर्फ एक अर्थशास्त्री के तौर पर थी, वह निजी थी इसलिए उसे नीति आयोग का विचार ना मानें.

राजीव कुमार ने अपने बचाव में तथ्य रखते हुए योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बयानों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अप्रैल 2014 में ‘गुजरात मॉडल’ पर टिप्पणी की थी, जबकि उस समय भी आचार संहिता लागू थी.

अहलूवालिया की टिप्पणी तब के भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के वादों पर थी.

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क्या था राजीव कुमार का ट्वीट?

बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने जब न्यूनतम आय योजना यानी न्याय योजना का ऐलान किया था, तब राजीव कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसको लेकर टिप्पणी की थी.

राजीव कुमार ने ट्वीट किया था कि न्याय योजना तो चांद लाकर देने जैसा वादा है. इस अव्यवहारिक योजना से देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. सरकारी खजाने को जो घाटा होगा, उसे पूरा नहीं किया जा सकेगा.

उनके इस ट्वीट पर कई विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई थी और चुनाव आयोग से शिकायत की थी. जिसके बाद आयोग ने उन्हें नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा था.

क्या है राहुल की न्याय स्कीम?

बता दें कि राहुल गांधी ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो देश के 20 फीसदी गरीबों को वह 72 हजार रुपये सालाना की आर्थिक मदद देगी. इसके तहत देश के 5 करोड़ गरीब परिवार यानी करीब 25 करोड़ लोगों को सीधा फायदा मिलेगा. इस योजना को लागू करने में करीब 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है.

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