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AAP नेता दिलीप पांडेय बोले- शीला दीक्षित हमारे लिए चुनौती नहीं, बीजेपी की मददगार

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दिलीप पांडेय शीला दीक्षित को चुनौती नहीं मानते. दिलीप पांडेय ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि मैं 38 साल का हूं और शीला दीक्षित 83 साल की हैं, मेरी दादी की उम्र की हैं. शीला कहीं मिल जाएंगी तो झुककर प्रणाम कर लूंगा, उनकी लंबी उम्र और उनके बेहतर स्वास्थ्य की मैं कामना करता हूं.

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AAP नेता दिलीप पांडेय (फाइल फोटो)
AAP नेता दिलीप पांडेय (फाइल फोटो)

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राजधानी दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट इन दिनों अपने उम्मीदवारों के चलते सुर्खियों में है. कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित, बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी और आम आदमी पार्टी से दिलीप पांडेय इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट से पहले सिर्फ मनोज तिवारी और दिलीप पांडेय में टक्कर थी लेकिन शीला दीक्षित का नाम सामने आने पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दिलीप पांडेय शीला दीक्षित को चुनौती नहीं मानते. दिलीप पांडेय ने 'आजतक' से खास बातचीत में कहा कि मैं 38 साल का हूं और शीला दीक्षित 83 साल की हैं, मेरी दादी की उम्र की हैं. शीला कहीं मिल जाएंगी तो झुककर प्रणाम कर लूंगा, उनकी लंबी उम्र और उनके बेहतर स्वास्थ्य की मैं कामना करता हूं.

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दिलीप पांडेय ने कहा कि दिल्ली की जनता ने 2015 के चुनाव में ही कांग्रेस का नाम लेना बंद कर दिया. शीला खुद अपनी सीट नहीं बचा सकी थीं. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का नाम दिल्ली की जनता नहीं ले रही है. त्रिकोणीय मुकाबला जहां भी होगा वहां तीसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस होगी. हरियाणा में जींद उपचुनाव में रणदीप सुरजेवाला ने वोट काटकर बीजेपी को जीतने में मदद की.

गठबंधन न होने पर शीला दीक्षित ने कहा कि जनता जानती है कि यही शीला दीक्षित हैं, जिनकी वजह से गठबंधन नहीं हो पाया है. लोग कह रहे हैं कि जहां बीजेपी के खिलाफ वोट एकजुट किए जा सकते हैं, वहां उन्होंने ही इसे खारिज कर दिया. इसके चलते लोगों में शीला दीक्षित के खिलाफ भारी आक्रोश है.  

दिलीप पांडे ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हम पिछले डेढ़ साल से घर-घर जाकर संपर्क और संवाद कर रहे हैं. मनोज तिवारी, शीला दीक्षित बहुत बड़े चेहरे हैं लेकिन यह बात जनता समझ चुकी है कि गलती से भी कांग्रेस को वोट किया तो बीजेपी को वोट जाएगा. 'बड़ा आदमी नहीं अपना 'आदमी' यहां का चुनावी नारा है, क्योंकि जिसने ब्रिज पुरी की सड़क पर गाड़ी नहीं चलाई, जिसने करावल नगर की धूल नहीं फांकी. जो सीलमपुर के चौराहे पर नहीं फसा, जिसने शास्त्री पार्क का जाम नहीं झेला, वह यहां का दर्द क्या जानेगा.

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