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'न्याय' योजना पर कांग्रेस को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस की न्याय योजना पर कांग्रेस और चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. एक जनहित याचिका की सुनवाई करते वक्त हाईकोर्ट ने कहा कि 2 सप्ताह के भीतर कांग्रेस और चुनाव आयोग इस संबंध में जवाब दाखिल करें.

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(इलाहाबाद हाईकोर्ट की फाइल फोटो)
(इलाहाबाद हाईकोर्ट की फाइल फोटो)

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना 'न्याय' पर पार्टी के खिलाफ नोटिस जारी किया है. एक जनहित याचिका पर सुनावाई करते हुए हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को नोटिस भेजा है. इस याचिका में कांग्रेस के मेनिफेस्टो से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है. इस याचिका की सुनावाई जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार कर रहे हैं. वहीं अधिवक्ता ने मोहित कुमार और अमित पांडेय ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और कांग्रेस पार्टी को इस संबंध में 2 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी है कि कांग्रेस के चुनावी मेनिफेस्टो में 72,000 रुपये न्यूनतम आय की गारंटी का वादा रिश्वत की तरह है और यह जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है.

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एक राजनीतिक दल इस तरह का वादा नहीं कर सकता क्योंकि यह कानून और आचार संहिता का उल्लंघन है. इस याचिका में कोर्ट से चुनाव आयोग को निर्देश जारी कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी का वादा हटवाने का अनुरोध किया गया है. कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मई को होगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 मार्च को ऐलान किया था कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो देश के 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये दिए जाएंगे. इस हिसाब से हर परिवार को 6 हजार रुपए हर महीने दिए जाएंगे. इस योजना के लाभार्थियों के खाते में सीधे तौर पर रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे. कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) का फायदा लगभग 25 करोड़ परिवारों को मिलेगा.

कांग्रेस की इस योजना का विरोधी पार्टियों ने खूब आलोचना की है. आलोचकों ने इस फैसले को देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है.

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