लोकसभा चुनाव से पहले देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. काफी लंबे समय से नाराज चल रहे ओम प्रकाश राजभर ने पिछड़ा वर्ग मंत्रालय का प्रभार छोड़ने की पेशकश की है. ओम प्रकाश राजभर ने इसको लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी भी लिख दी है. ओम प्रकाश राजभर के पास अभी पिछड़ा वर्ग-दिव्यांगजन सशक्तिकरण का विभाग है.
उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि वह इस मंत्रालय का प्रभार वापस मुख्यमंत्री को दे रहे हैं. राजभर ने अपने खत में लिखा है कि सरकार के द्वारा पिछड़े वर्ग के छात्र/छात्राओं की छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति ने किए जाने पर और पिछड़ी जातियों को 27 फीसदी आरक्षण का बंटवारा सामाजिक न्याय समिति के रिपोर्ट के अनुसार ना करने पर रोष जताया है.
आपको बता दें कि ओम प्रकाश राजभर लगातार योगी सरकार और बीजेपी के खिलाफ बयान देते रहे हैं. बीते दिनों अखिलेश यादव ने सपा-बसपा गठबंधन का ऐलान करते हुए संकेत दिए थे कि उनकी ओम प्रकाश राजभर से बात चल रही है.
आपको बता दें कि ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ आई थी. हालांकि, जब से सरकार बनी है तभी से ओम प्रकाश राजभर सरकार के खिलाफ बयान देते रहे हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की राजभर समुदाय के बीच पकड़ मजबूत है. दरअसल, ओम प्रकाश राजभर की मांग है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें दो से तीन सीटें दी जाएं.
पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति न दिए जाने एवं पिछड़ी जातियों के 27% आरक्षण के बंटवारा करने के लिए सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट आने के बाद भी रिपोर्ट लागू न करने से आज हम पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग मा.मुख्यमंत्री जी को सौप दूंगा। pic.twitter.com/ebGUjEvKLL
— Om Prakash Rajbhar (@oprajbhar) February 14, 2019
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के 4 विधायक जीतने में सफल रहे थे. राजभर का जनाधार पूर्वांचल के बलिया, गाजीपुर, मऊ और वाराणसी क्षेत्र में है. ऐसे में अगर वो लोकसभा चुनाव से पहले BJP से नाता तोड़कर अलग होते हैं, तो पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है.
आपको बता दें कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ओमप्रकाश राजभर के बयानों पर टिप्पणी की थी. आजतक के कुंभ स्पेशल प्रोग्राम में योगी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक नहीं हैं, वे सहयोगी दल के हैं और हमेशा अपने दायरे में रहकर ही बोलते हैं.