नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दावा किया है कि उनकी पार्टी राज्य में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए में कोई परिवर्तन नहीं होने देगी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को कश्मीरी युवाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने देगी. उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव 2019 को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह चुनाव ही निर्धारित करेगा कि संवेदनशील अनुच्छेदों पर क्या रुख अपनाया जा सकता है.
कुपवाड़ा जिले के लोलबा इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हमारे राज्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से धमकियां मिलती रहती हैं. ये चुनाव हमारे लिए सही अवसर लेकर आएंगे जिसमें हम अपने जन प्रतिनिधियों को देश के सबसे बड़े सदन में भेजेंगे जहां राज्य के विशेष दर्जे को बनाए रखने की मांग को वे मजबूत ढ़ंग से रख सकेंगे.'
जेटली ने अनुच्छेद 35-ए पर लिखा ब्लॉग
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को ही अपने ब्लॉग के जरिए अनुच्छेद 35-ए को कश्मीर की मौजूदा परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने अपने ब्लॉग में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में नेहरू के दृष्टिकोण ठीक नहीं थे. अब समय आ गया है कि हम विशेष दर्जे से अलगाव तक की यात्रा को विराम दें. अरुण जेटली ने कहा कि 1954 में 'अनुच्छेद 35A' संविधान में चुपके से जोड़ा गया था. इससे राज्य में निवेश और रोजगार सृजन का काम थम सा गया और इसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
पार्टी का संकल्प
अनुच्छेद 370 राज्य के विशेष दर्जा प्रदान करता है वहीं अनुच्छेद 35-ए स्टेट असेंबली को यह अधिकार देती है कि राज्य के स्थायी निवासियों के लिए विशेष अधिकार दिए जा सकें. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य के विशेष दर्जे के लिए राज्य के भीतर और बाहर दोनों ओर काम करेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू और कश्मीर की जनता से अपील भी की है कि राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने की मंशा रखने वाले लोगों को राज्य से बाहर रखें. उन्होंने कहा, 'इस तरह की ताकतों और उनके मित्रों को पहचान के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए और अब यह लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें, उनकी सही जगह दिखाएं.'
कश्मीरी युवाओं को मिल रही धमकियों पर बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 2016 से ही हजारों युवाओं को मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है.
महबूबा के आंसू घड़ियाली
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'महबूबा मुफ्ती घड़ियाली आंसू दिखा रही हैं. हमारे हजारों जवान जेलों में हैं. यह वही हैं जिन्होंने एनआईए को कश्मीर में आने की इजाजत दी थी जो कश्मीर के युवाओं के लिए अभिशाप बन गया. मेरे कार्यकाल में एनआईए का इस्तेमाल केवल एक बार हुआ था. जो एक स्थानीय युवक लियाकत की जान बचाने के लिए बुलाई गई थी.'
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'उस वक्त आतंकियों के लिए पुनर्वास योजना के तहत लियाकत नेपाल के रास्ते कश्मीर वापस लौट रहा था. उसके साथ उसका परिवार भी था. हालांकि उसे भारत-नेपाल सीमा पर हिरासत में ले लिया गया था.'
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'अधिकारी धमका रहे थे कि लियाकत को तिहाड़ जेल भेजा जाएगा. उसके परिवार वालों ने मुझे बुलाया. मैंने इस मामले को उस वक्त के गृह मंत्री से साझा किया. मैंने उनसे अनुरोध किया था किसी ऐसी संस्था को यहां भेजें जिसका लोगों के खिलाफ राजनीतिक इस्तेमाल न हो.'
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 2 महीने के भीतर लियाकत को रिहा कर दिया गया और वह अपने परिवार के साथ रहने लगा. अगर हम सत्ता में आते हैं तो युवाओं पर थोपे गए मामलों की जांच करेंगे. हम इस बात का आश्वासन देते हैं कि हमारे युवाओं पर एनआईए कोई अत्याचार नहीं करेगी. इसके साथ ही हम नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) को भी खत्म करेंगे. पार्टी प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के भाषण के दौरान लियाकत भी मौजूद था.