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पेरंबलूर सीट पर AIADMK का कब्जा, DMK के सामने गढ़ वापसी की चुनौती

Perambalur Lok Sabha Constituency मध्य तमिलनाडु का पेरंबलूर जिला चोल, विजयनगर साम्राज्य, मदुरई, मैसूर और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा है. 2009 में इस सीट पर डीएमके ने जीत दर्ज की वहीं 2014 के आम चुनावों में यहां से एआईएडीएमके ने जीत हासिल की.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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मध्य तमिलनाडु का पेरंबलूर जिला चोल, विजयनगर साम्राज्य, मदुरई, मैसूर और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा है. इस इलाके का इतिहास भी समृद्ध रहा है. यहां ऐसी बौद्ध प्रतिमाएं मिली हैं, जिनसे पता चला है कि 11वीं सदी में ही बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हो गया था. जहां तक बात राजनीति की है तो इस सीट को डीएमके का गढ़ मानी जाती है.

1951 से अब तक सबसे ज्यादा सात बार डीएमके ने यहां से जीत दर्ज की है, जबकि छह बार एआईएडीएमके ने. दोनों पार्टियों के बीच चल रही टक्कर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां 2009 में यह सीट डीएमके के पास थी तो 2014 के आम चुनावों में यहां से एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की थी. पेरंबलूर सीट से मौजूदा सांसद एआईएडीएमके के एआरपी मारुतराजा हैं. वे 2014 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

तमिलनाडु की ज्यादातर सीटों के उलट 1960 के दशक की शुरुआत से ही यहां डीएमके ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थीं. 1957 में पहली बार कांग्रेस जीती थी. लेकिन 1962 के आम चुनावों में यहां से डीएमके के ईरा सेजियान चुनाव जीते थे. डीएमके की जीत का सिलसिला 1967 और 1971 में भी जारी रहा. 1977 में पहली बार एआईएडीएमके ने डीएमके से यह सीट छीनी. लेकिन 1980 में कांग्रेस ने यहां फिर वापसी की. लेकिन अगले तीन चुनावों में एआईएडीएमके ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस सीट पर जीत हासिल की. 1996 में लंबे समय के बाद डीएमके ने एआईएडीएमके से यह सीट छीनी. लेकिन यह बढ़त ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रही. दो साल बाद ही यानी 1998 में एआईएडीएमके ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया. लेकिन 1999, 2004 और 2009 में डीएमके ने यहां से जीत दर्ज की. 2014 में एक बार फिर एआईएडीएमके ने यहां जीत दर्ज की.

सामाजिक तानाबाना

पेरंबलूर की जनसंख्या 5.65 लाख है. इनमें 282,157 पुरुष और 283,066 महिलाएं हैं. यहां पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा हैं. पेरंबलूर लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें थुरईयूर (सुरक्षित), पेरंबलूर (सुरक्षित), लालगुडी, मुसीरी, मनचनालूर और कुलीथलाई शामिल हैं. इस इलाके में डीएमके और एआईएडीएमके के बीच कांटे की टक्कर है.

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2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के आरपी मारुतराजा ने यहां जीत दर्ज की थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

एआईएडीएमके के आरपी मारुतराजा पहली बार 2014 में लोकसभा सांसद बने. वे ऊर्जा मंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं. परास्नातक तक शिक्षा हासिल कर चुके मारुतराजा की लोकसभा में उपस्थिति 72 फीसदी है. उन्होंने 19 बहसों में हिस्सा लिया और इस दौरान 249 सवाल पूछे.  उनकी सांसद निधि का 81.27 फीसदी हिस्सा विकास पर खर्च किया गया है.  

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