प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को केरल के त्रिशूर में जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को घेरते हुए कहा कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन को जासूसी मामले में फंसाकर कुछ नेताओं ने राजनीतिक दुश्मनी निकालने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नारायणन को झूठे मामले में फंसाया गया था और उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने का अवसर मिलना उनकी सरकार के लिए गौरव की बात है.
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ साल पहले मेहनती और देशभक्त ISRO वैज्ञानिक नांबी नारायणन को इसलिए झूठे मामले में फंसा दिया गया क्योंकि कुछ यूडीएफ नेता उनसे राजनीतिक दुश्मनी निकालना चाहते थे.’ पीएम मोदी ने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि उन्होंने अपने फायदे के लिए देश हित को नुकसान पहुंचाया, यह सम्मान की बात है कि हमारी सरकार को नांबी नारायणन को पद्म पुरस्कार देने का मौका मिला.’
झूठ निकला जासूसी केस
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उनके लिए विज्ञान जासूसी के लिए है, लेकिन हमारे लिए विज्ञान गौरव की बात है. उनके लिए सोलर घोटाले का विषय है लेकिन हमारे लिए यह विकास की बात है.’ नांबी नारायणन को 30 नवंबर 1994 को इसरो में क्रायोजेनिक इंजन तकनीक पर काम करते हुए गिरफ्तार किया गया था.
उस दौरान सुर्खियों में छाया रहा जासूसी मामला भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के कुछ गोपनीय दस्तावेज दूसरे देशों को पहुंचाने के आरोपों से जुड़ा हुआ था. दो वैज्ञानिकों और चार अन्य लोगों पर इस मामले में आरोप लगाये गये थे. अन्य में मालदीव की दो महिलाओं के भी नाम शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को वैज्ञानिक को गिरफ्तार करने और उनका उत्पीड़न करने के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे. शीर्ष अदालत ने केरल सरकार को उनके अपमान की भरपाई के लिए 50 लाख रुपये देने का आदेश भी दिया था.
'मेरे काम को पहचाना गया'
पद्म सम्मान मिलने पर नंबी नारायणन ने शनिवार को खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके काम को आखिरकार पहचाना गया, इसकी काफी खुशी है. एजेंसी भाषा से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मेरा नाम जासूसी के आरोपों के कारण मशहूर हो गया, अब मैं खुश हूं कि सरकार ने मेरे योगदान को पहचाना.’
बता दें कि पूर्व वैज्ञानिक नारायणन ने पीएसएलवी, जीएसएलवी के विकास और क्रायोजेनिक इंजन बनाने के शुरुआती चरण में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि 1994 में उन पर जासूसी का आरोप लगे लेकिन फिर केरल पुलिस के बाद इस मामले की जांच की सीबीआई ने की जिसमें पाया कि कोई जासूसी नहीं की गई थी.