वाराणसी संसदीय सीट से नामांकन के पहले पीएम मोदी ने आज तक से खास बातचीत की. घाट और गंगा के सफाई के सवाल को पीएम ने साबरमती नदी पर किए गए काम से जोड़ा. मोदी ने कहा कि कभी साबरमती के किनार गधे दौड़ते थे. सर्कस का आयोजन होता था, लेकिन आज वहां नजारा कुछ और बन चुका है. मोदी ने कहा कि गंगा एक उत्सव है, लेकिन अगर लेफ्ट ने गंगा को मां माना होता तो हालात कुछ और होता. अगर गंगा के बारे में सोचा जाता तो आज ऐसी स्थिति नहीं होती. गंगा के लिए हम काम कर रहे हैं. काफी कुछ गंगा की सफाई को लेकर हो रहा है. लंदन में गंगा के पानी को लेकर एक कॉन्फ्रेंस हुई थी, जिसमें देश को सम्मानित भी किया गया था.
मोदी ने कहा कि काशी ने मुझे बदल दिया है. यहां की परंपरा और सांस्कृतिक चेतना से ऐसा हुआ है. काशी को अभी कैपिटल की तरह देखा जा रहा है. गंगा को लेकर मोदी ने कहा कि भागीरथ ने बहुत बड़ा इंजीनिरिंग वर्क किया है. गंगा को साफ स्वच्छ रखना है तो पहले लोगों को कूड़ा-गंदगी डालना बंद करना चाहिए. बीते दिनों पीएम ने दावा किया था कि 120 साल से जो नाला गंगा में सीधे गिर रहा था, उस पर उनकी सरकार ने रोक लगाई है.
बता दें कि मई 2018 में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने गंगा को साफ करने के लिए मार्च 2019 की नई डेडलाइन तय की थी. साथ ही दावा किया था कि तब तक गंगा के पानी की गुणवत्ता 70 से 80 प्रतिशत तक बेहतर हो जाएगी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के बारे में बोलते हुए आगे कहा 'अटल जी का फार्मूला ही काम आने वाला है, इंसानियत, कश्मीरित, जम्हूरियत लेकिन कश्मीर का मुट्ठीभर परिवार कश्मीर में एक भाषा बोलते हैं तो दिल्ली में आकर दूसरी भाषा बोलते हैं. ये दोगलापन उजाकर करना पड़ेगा. मैं अभी वह कर रहा हूं. आपमें हिम्मत होनी चाहिए कि जो आप कश्मीर में बोलते हैं, वही भाषा दिल्ली में बोलनी चाहिए. जो दिल्ली में बोल रहे हैं, वही कश्मीर में बोलिए, लेकिन वे नहीं बोल रहे हैं. इसलिए वहां पंचायत के चुनाव में दोनों ही पार्टियां जो वहां की ठेकेदार हैं, उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया था. उसके बाद भी 75 फीसदी मतदान हुआ.'