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यूपी की जंग: गंगा में बोट यात्रा से एक साथ कई निशाने साध रही हैं प्रियंका गांधी

आज से शुरू हुई प्रियंका की ये वोट यात्रा न सिर्फ पार्टी का सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश मजबूत करेगी बल्कि इसके जरिए कांग्रेस मोदी सरकार के वादों का खोखलापन और विकास की असलियत भी जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है.

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गंगा नदी में बोट से यात्रा करतीं प्रियंका
गंगा नदी में बोट से यात्रा करतीं प्रियंका

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2014 के आम चुनाव में गंगा चुनाव प्रचार का केंद्र बन गई थी. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई तो सरकार की प्राथमिकता में भी गंगा दिखाई जाती रही. अब जबकि मोदी सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है और नई सरकार के चयन के लिए चुनाव प्रचार जारी है तब भी गंगा सियासत का हॉट टॉपिक बनी हुई है. बीजेपी के साथ-साथ इस बार गंगा को भुनाने के लिए कांग्रेस में मैदान में उतर गई है. शुरुआत पार्टी की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी बोट यात्रा से की है. आज से शुरू हुई प्रियंका की ये वोट यात्रा न सिर्फ पार्टी का सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश मजबूत करेगी बल्कि इसके जरिए कांग्रेस मोदी सरकार के वादों का खोखलापन और विकास की असलियत भी जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है.

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उत्तर प्रदेश में गंगा नदी की लंबाई 1140 किमी है. इस समय इसकी लहरों पर राजनीति तैर रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बोट से करीब 140 किमी यात्रा पर निकली हैं. ताकि वे गंगा की स्थिति जान सकें और गंगा के सहारे कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकें. प्रियंका के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा की सफाई के लिए बनारस से ही गंगा एक्शन प्लान शुरू किया था. यहीं, वाराणसी से ही 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद बने. फिर उनकी सरकार ने भी नमामि गंगे प्रोजेक्ट लॉन्च किया. ताकि गंगा साफ रहे.

उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से लगभग आधी सीटें गंगा से प्रभावित होती हैं. बिजनौर से निकली गंगा बलिया तक करीब 26 सीटों पर धार्मिक और आर्थिक तौर पर सीधा असर डालती हैं. इनमें से पांच सीटें विपक्ष के पास हैं. बाकी सारी सीटों पर भाजपा का कब्जा है. प्रियंका के गंगा दौरे से धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक तौर पर असर पड़ेगा. खास बात यह है कि देश में दूसरी बार नदी का सहारा लेकर बोट के जरिए प्रचार हो रहा है. इससे पहले नरेंद्र मोदी ने 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान साबरमती में बोट से प्रचार किया था.

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धार्मिक असर : लोग जोड़ लेते हैं खुद को गंगा से

गंगा हिंदुओं के लिए आध्यात्म और आस्था का स्रोत है. प्रियंका खुद को गंगा की बेटी कहकर प्रचार कर रही हैं. उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत प्रयाग में हनुमान मंदिर का दर्शन करके की. फिर गंगा की पूजा की तब बोट पर निकलीं.

पर्यावरणीय असर : गंगा की सफाई पर उठा सकती हैं सवाल

प्रियंका गंगा सफाई को लेकर मोदी की केंद्र और यूपी की योगी सरकार से सवाल कर सकती हैं. उनके पास इसकी वजह भी है, क्योंकि भाजपा ने गंगा की सफाई के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे. नमामि गंगे प्रोजेक्ट के नाम पर खर्च किए गए करोड़ों रुपयों का हवाला देकर लोगों को गंगा की गंदगी दिखा सकती हैं.

राजनीतिक असर: 11 सीटों पर होगा गंगा दौरे का प्रभाव

प्रियंका गांधी के दौरे से प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी सीटों पर सीधा असर पड़ेगा. इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से कौशांबी, फूलपुर, मछलीशहर, जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली और गाजीपुर के लोगों को साधने का काम प्रियंका यहां से करेंगी. पूर्वी यूपी की कांग्रेस महासचिव को इसका कितना फायदा मिलेगा यह चुनाव के बाद ही पता चलेगा.

सामाजिक असर : मल्लाहों के जरिए 8% वोटर खींचने का प्रयास करेंगी प्रियंका

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वाराणसी में प्रियंका मल्लाहों से बातचीत करेंगी. यूपी में मल्लाहों की आबादी 08 फीसदी है. इनमें निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप, मांझी, बिंद, धीमार जैसी कई उपजातियां हैं. इस समुदाय का प्रभाव करीब 20 सीटों पर है. ये हार-जीत में अहम भूमिका निभाती हैं.

प्रियंका के निशाने पर राजनाथ से लेकर मोदी तक की सीट

प्रियंका का चुनावी अभियान लखनऊ से शुरू हुआ था. वह भी रोड शो करके. यहां उनके निशाने पर आए राजनाथ सिंह. फिर, प्रयागराज के फूलपुर सीट पर भी असर पड़ेगा. यहां से जवाहर लाल नेहरू और उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित जीते थे. आखिरी दिन प्रियंका के टारगेट पर रहेगा बनारस. जो कि मोदी का गढ़ है.

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