कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छोटी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 47 साल की उम्र में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. देश के सबसे बड़े परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने हमेशा खुद को राजनीति से दूर रखा. हालांकि, अपने परिवार के लिए वह जरूर अमेठी व रायबरेली में प्रचार करती रहीं.
2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 23 जनवरी को प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासिचव बनाया गया और इसी के साथ उनका सियासत में औपचारिक तौर पर आगाज हो गया.
12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका गांधी की पढ़ाई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के जीसस एंड मैरी स्कूल से साइकॉलोजी की डिग्री प्राप्त की.
जब उनकी मुलाकात रॉबर्ट वाड्रा से हुई तो वह महज 13 साल की थीं. दोनों की दोस्ती के बाद 1997 में उनकी शादी हुई. इस तरह मूल रूप से पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले रॉबर्ट वाड्रा देश के सबसे बड़े परिवार के दामाद बन गए.
प्रियंका और रॉबर्ट शादी से पहले 6 साल तक एक साथ थे. इसके बाद उन्होंने परिवार को अपने रिश्ते के बारे में बताया. हालांकि, गांधी परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया लेकिन दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रियंका भी अपने प्यार के लिए अड़ गईं. आखिरकार परिवार को हामी भरनी पड़ी.
दादी इंदिरा से होती है हमेशा तुलना
प्रियंका गांधी की तुलना अक्सर उनकी दादी व देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से होती है. प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है. कांग्रेस महासचिव बनने के बाद जब पहली प्रियंका का रोड शो लखनऊ में हुआ तो उनकी तस्वीर इंदिरा गांधी के साथ लगाकर उनके व्यक्तित्व में इंदिरा का अक्स दिखाने का संदेश दिया गया.
प्रियंका गांधी को फोटोग्राफी, कुकिंग, और पढ़ना खासा पसंद है. प्रियंका को बच्चों से खासा लगाव है. उन्होंने ही राजीव गांधी फाउंडेशन के बेसमेंट में बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू कराई जिसका इस्तेमाल रोजाना कई बच्चे करते हैं.
मां सोनिया के लिए शुरू किया प्रचार
1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अमेठी और बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ा. व्यस्त दिनचर्या होने के चलते प्रियंका गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी की अमेठी सीट पर मोर्चा संभाला. इस चुनाव के वक्त प्रियंका की उम्र 28 साल थी और उन्होंने अपनी मां के लिए जमकर प्रचार किया.
2004 से अमेठी सीट पर भाई राहुल गांधी के लिए प्रियंका प्रचार कर रही हैं, जबकि सोनिया गांधी के लिए वह रायबरेली में मोर्चा संभाले हुए हैं. रायबरेली और अमेठी के लिए कांग्रेस पार्टी एक अलग रणनीति के तहत विधानसभा और ब्लॉक स्तर पर संगठन के काम का बंटवारा करती है और प्रियंका गांधी स्वयं इस सब पर नजर रखती हैं.
इसके अलावा दोनों संसदीय सीट पर पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में वो टिकट का फैसला करती हैं. यूपी में कांग्रेस और सपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा. हालांकि, नतीजे दोनों के लिए अच्छे नहीं रहे, लेकिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच गठबंधन के पीछे प्रियंका गांधी का नाम सामने आया.
2019 के सियासी रण में प्रियंका को उतारकर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा कदम उठाया है. राहुल गांधी ने प्रियंका को यूपी में कांग्रेस को जिंदा करने की जिम्मेदारी देते हुए उनसे 2022 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. प्रियंका ने अब तक खुद कोई चुनाव नहीं लड़ा है.