कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वोटकटवा बनने वाले बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया था और खुद प्रियंका गांधी को इस बारे में सफाई देनी पड़ी है. प्रियंका गांधी ने एक बार फिर रायबरेली में कहा कि वे मरना पसंद करेंगी लेकिन बीजेपी को किसी तरह की मदद हो जाये वो इसका कभी समर्थन नहीं कर सकती.
प्रियंका गांधी ने कहा था कि "उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के उम्मीदवार अगर नहीं जीते तो वह बीजेपी को हराएंगे". 'आजतक' को दिए खास इंटरव्यू में प्रियंका गांधी ने यहां तक कह डाला कि उत्तर प्रदेश की तमाम सीटों पर उम्मीदवार उन्होंने तय किए हैं और एक रणनीति के तहत ऐसे टिकट बांटे गए हैं कि कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार जीतेंगे और कमजोर उम्मीदवार बीजेपी के वोट काटेंगे.
कांग्रेस महासचिव के इंटरव्यू के बाद ऐसा लगा मानों कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए वोट कटवा बनने की ठान ली हो. प्रियंका के इस बयान के बाद सभी सियासी दलों की प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई हैं.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कांग्रेस ने ऐसा किया है और कोई भी दल दूसरे को जिताने के लिए अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करता.
बहुजन समाज पार्टी(बसपा) सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस रिलीज जारी की और फिर एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं और दोनों एक जैसी साजिश रचते हैं.
हालांकि, 80 सीटों में कांग्रेस कई सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है खासकर उसने समाजवादी पार्टी के परिवार की तमाम सीटें छोड़ दी हैं. आरएलडी के लिए मेरठ और बागपत की सीटें छोड़ने के साथ ही कुछ सीटों पर उन्होंने कैंडिडेट नहीं दिए हैं, लेकिन चर्चा इस बात की है कि लगभग दर्जन भर सीटों पर कांग्रेस गठबंधन को नुकसान पहुंचा रही है. वहीं, 80 फीसदी सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस के उम्मीदवार बीजेपी के वोट काटते दिख रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की संसदीय सीट संतकबीर नगर से भालचंद यादव, भदोही से रमाकांत यादव, लखीमपुर खीरी से जफर अली नकवी, सीतापुर से केसर जहां गठबंधन को नुकसान पहुंचाती नजर आ रही हैं.
वहीं, सहारनपुर से इमरान मसूद, बदायूं से सलीम शेरवानी, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी गठबंधन के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं.
देवरिया से निया अहमद मुस्लिम उम्मीदवार हैं और बीएसपी को ही नुकसान पहुंचाएंगे. बाराबंकी कांग्रेस की मजबूत सीट है, लेकिन अगर नहीं जीते तो गठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगे. फर्रुखाबाद में सलमान खुर्शीद और उन्नवाव में अनु टंडन का भी यही हाल है.
बहरहाल कांग्रेस भी जानती है कि उत्तर प्रदेश में उसकी सियासी जमीन कुछ खास इलाकों को छोड़कर कहीं बची नहीं है. ऐसे में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में अपनी सियासी ज़मीन पाने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका का ये ये बयान सेल्फ गोल जैसा है.
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