कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि अगर यूपीए की सरकार बनेगी तो वे केंद्र व राज्य सरकारों में 33 फीसदी नौकरियां महिलाओं के लिए आरक्षित कराएंगे. राहुल गुरुवार को चेन्नई के स्टेला मैरिस कॉलेज फॉर वुमेन की छात्राओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि वे नौ साल से अटके महिला आरक्षण विधेयक को भी पारित करवाएंगे. लेकिन देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में पहले ही नौकरियों में महिलाओं के लिए 30 से 33 फीसदी आरक्षण लागू है. नौकरियों में आरक्षण के मामले में महिलाओं का सबसे कम कोटा झारखंड में है. यहां हर श्रेणी में महिलाओं के लिए 5 फीसदी आरक्षण है. बिहार में महिलाओं को 35 फीसदी कोटा दिया गया है. सबसे ज्यादा 50 फीसदी कोटा असम में है.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह 2017 में ही महिलाओं के लिए सीआरपीएफ, सीआईएसएफ में 33 फीसदी और बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में 15 फीसदी आरक्षण की घोषणा कर चुके हैं. इसके बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी रेलवे पुलिस फोर्स में होने वाली भर्तियों में 50 फीसदी आरक्षण की बात कही थी.
महिला आरक्षण बिल दो दशकों से लटका है
राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल 2010 में पास करा लिया गया था, लेकिन लोकसभा में सपा, बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियों के भारी विरोध की वजह से ये बिल पास नहीं हो सका है. यह बिल दो दशकों से ज्यादा वक्त से अटका हुआ है. सपा, बसपा और आरजेडी की कोटे के भीतर कोटे की मांग के चलते ये बिल आज तक पास नहीं हो सका है. संसद में महिला आरक्षण बिल 1996 में देवेगौड़ा सरकार ने पहली बार पेश किया था. इसका कई पुरुष सांसदों ने भारी विरोध किया था.
महिलाओं को आरक्षण से भारतीय इकोनॉमी में 10 फीसदी का इजाफा
नीति आयोग के मुताबिक अगर देश की नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़े तो देश की अर्थव्यवस्था में 9 से 10 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि देश में अभी सिर्फ 24 फीसदी महिला वर्कफोर्स है, जबकि पूरी दुनिया में यह 48 फीसदी है. 2017 की वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वुमन वर्कफोर्स के मामले में भारत दुनिया के 131 देशों में 120वें स्थान पर था.
इन राज्यों की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को मिलता है आरक्षण
असम: 50 फीसदी
आंध्र प्रदेश: 33.33 फीसदी
बिहार: 35 फीसदी
मध्यप्रदेश: 33 फीसदी
गुजरात: 33 फीसदी
कर्नाटक: 33 फीसदी
पंजाब: 33 फीसदी
राजस्थान: 33 फीसदी
उत्तर प्रदेश: 30 फीसदी
तेलंगाना: 33 फीसदी
महाराष्ट्र: 30 फीसदी
तमिलनाडु: 30 फीसदी
झारखंड: 05 फीसदी (प्रति श्रेणी)
त्रिपुरा: 10 फीसदी (पुलिस बलों में)