उत्तर बंगाल में रायगंज अकेली सीट है, जहां सही मायनों में चतुष्कोणीय मुकाबला है. एक ओर माकपा के मोहम्मद सलीम हैं, जो इस सीट से सांसद हैं. दूसरी ओर कांग्रेस से हैं जिले के दिवंगत नेता प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नी दीपा दासमुंशी. इन दोनों को मजबूती से टक्कर दे रहे हैं तृणमूल के कन्हैयालाल अग्रवाल, जो इस्लामपुर के विधायक भी हैं. भाजपा की ओर से देवश्री चौधरी मैदान में मजबूती से डटी हैं. रायगंज में सीपीएम के मौजूदा सांसद मोहम्मद सलीम को तृणमूल से चुनौती मिल रही है. 2014 में सलीम महज 1634 वोट से जीते थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में माकपा के उम्मीदवार को 3,17,515 मत, कांग्रेस को 3,15,881, तृणमूल कांग्रेस को 2,03,131 और भाजपा को 1,92,698 मत मिले थे.
दीपा के देवर पवित्र रंजन तृणमूल से प्रत्याशी थे. देवर-भाभी के झगड़े में सीपीएम को फायदा हुआ था. अब अगर दासमुंशी परिवार में मतभेद नहीं होता और उनके परिवार को मिले मतों को जोड़ कर देखा जाए तो पता चलता है कि प्रियरंजन दासमुंशी की विरासत कितनी मज़बूत है और सिर्फ़ उनका नाम लेकर चुनाव लड़ने वाला कितनी भारी जीत हासिल करता. भाजपा यहां तीसरे नंबर पर थीं. यहां 53% मुस्लिम वोटर हैं. यहां वोटों का ध्रुवीकरण महत्वपूर्ण फैक्टर रहेगा, जो भाजपा के पक्ष में जा सकता है.
पिछले चुनाव से 15% संपत्ति बढ़ी
दीपा दासमुंशी ने अपने नाम पर लगभग 47.64 लाख रुपये की चल संपत्ति घोषित की है. यह संपत्ति 2014 की तुलना में 15% बढ़ी है. 2014 में उनके पास 41.39 लाख रुपये की चल संपत्ति थी. उनके पति प्रियरंजन दासमुंशी के नाम पर पिछले चुनाव से पहले घोषित की गई 1.11 करोड़ रुपये की चल संपत्ति की तुलना में इस बार प्रियरंजन के नाम पर लगभग 90.26 लाख रुपये की चल संपत्ति घोषित की गई है. दासमुंशी ने 2018-19 में 7.8 लाख रुपये से अधिक की कुल वार्षिक आय दर्शायी है, उनके पास 31.42 लाख रुपये के पांच बैंक खाते हैं. इसके अलावा नकद में 26,500 रुपये हैं. उनके पास 10 लाख के गहने हैं.
Former Union MoS and #Congress candidate for the Raiganj #LokSabha constituency, #DeepaDasmunsi has declared movable assets worth about Rs 47.64 lakh in her own name, up by 15 per cent from over Rs 41.39 lakh declared in 2014.#Dangal2019
Photo: IANS pic.twitter.com/NgfEivCzZ2
— IANS Tweets (@ians_india) April 1, 2019
लगाया था अटकलों पर विराम
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद नेताओं का दल-बदल शुरू हो गया था. अटकलों का बाजार भी गर्म था. पश्चिम बंगाल में दीपा दासमुंशी ने भाजपा में जाने की तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि वे फिलहाल कांग्रेस में बनी रहेंगी. वे भाजपा में शामिल नहीं हो रही है.