राजस्थान में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के लिए भारतीय जनता पार्टी के 25 में से आधे उम्मीदवारों के नाम तय हो गए हैं. लेकिन बाकी सीटों पर सहमति नहीं बन पा रही है. टिकट वितरण में राज परिवार की खींचतान भी नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव के पहले तक वसुंधरा राजे राजस्थान बीजेपी में एकछत्र राज करती थीं, लेकिन अब गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में है. लिहाजा, करीब 12 सीटों पर दो-दो नामों के पैनल तैयार किए गए हैं.
दिल्ली में बीजेपी नेता रामलाल, प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच लंबी बैठक के बाद भी सभी नामों पर सहमति नहीं बन पाई है. माना जा रहा है कि जिन 13 सीटों के लिए सहमति बनी है उनमें से 11 वो सांसद हैं जिनका टिकट नहीं काटा जाना है. यानी इन सिटिंग सांसदों पर ही पार्टी भरोसा जता रही है. हालांकि, दूसरी तरफ पार्टी चाहती है कि आधी सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे जाएं ताकि स्थानीय स्तर पर एंटी इन्कम्बेंसी को कम किया जा सके.
इन सीटों पर विवाद
वसुंधरा राजे और अमित शाह के बीच बैठक बेनतीजा रहने के बाद यह तय किया गया कि होली के बाद बाकी 13 सीटों पर सहमति बनाने के लिए फिर से बैठक रखी जाएगी. जयपुर, दौसा, अजमेर, अलवर, चूरु, राजसमंद, पाली, सीकर, झुंझुनू, जालौर, नागौर और बाड़मेर सीट पर विवाद ज्यादा है. इन सीटों पर बीजेपी के दो गुटों के बीच आपस में विरोध है.
मसलन, जयपुर की सीट को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. यहां बीजेपी के मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा हैं मगर जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी सिंह जयपुर से चुनाव लड़ना चाहती हैं. समस्या यह है कि बगल की जयपुर ग्रामीण सीट से भी राजपूत राज्यवर्धन सिंह हैं. ऐसे में 2-2 राजपूत उम्मीदवार जयपुर से खड़े नहीं हो सकते हैं.
यही वजह है कि राज्यवर्धन सिंह बीजेपी की तरफ से गोपाल शर्मा की पैरवी कर रहे हैं तो वसुंधरा राजे मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा के समर्थन में हैं. दरअसल, वसुंधरा राजे नहीं चाहेंगी कि राजघराने का एक और नेता बीजेपी की राजनीति में ताकतवर बने. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर दीया कुमारी सिंह बीजेपी की राजनीति में उभरती हैं तो वो वसुंधरा राजे को आगे चलकर चुनौती दे सकती हैं.
इसी तरह से राजसमंद सीट को लेकर आपस में विवाद है. गुलाब चंद कटारिया का गुट चाहता है कि अगर दीया कुमारी सिंह को जयपुर से टिकट नहीं मिलता है तो राजसमंद से चुनाव में उतारा जाए. वहां पर कटारिया अपने धुर विरोधी किरण महेश्वरी का टिकट काटना चाहते हैं जबकि वसुंधरा चाहती हैं कि वहां भी दीया कुमारी सिंह को टिकट नहीं मिले और किरण महेश्वरी को चुनाव में उतारा जाए.
पाली से तो केंद्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी के खिलाफ बहुत सारे लोग दिल्ली पहुंच गए हैं. बीकानेर में पहले ही केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ बीजेपी के कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इसी तरह से झुंझुनू में भी संतोष अहलावत का विरोध हो रहा है.
बहरहाल, इस विरोध के बीच जिन नामों पर बीजेपी में सहमती बन गई है उसमें जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, कोटा से ओम बिरला, झालावाड़ से दुष्यंत सिंह का टिकट तय माना जा रहा है. वसुंधरा राजे ने साफ कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जब सूची जारी की जाती है तो इन विवादित सीटों पर किसका पड़ला भारी पड़ेगा.