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रामटेक लोकसभा सीट: क्या शिवसेना बचा पाएगी अपना किला?

रामटेक में लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. रामटेक में पहले चरण के तहत लोग अपने वोट का इस्तेमाल कर सकेंगे. इस सीट पर शिवसेना और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. शिवसेना ने यहां से कृपाल तुमाने और कांग्रेस ने किशोर उत्तर राव को टिकट दिया है.

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शिवसेना (फाइल फोटो)
शिवसेना (फाइल फोटो)

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महाराष्ट्र के रामटेक में लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. रामटेक में पहले चरण के मतदान के तहत लोग अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे. इस सीट पर शिवसेना और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. शिवसेना ने यहां से कृपाल तुमाने और कांग्रेस ने किशोर उत्तर राव को टिकट दिया है. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने सुभाष धर्म दास को मैदान में उतारा है. बता दें कि रामटेक लोकसभा सीट शिवसेना के दबदबे वाली सीट है.

यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना की टिकट पर कृपाल तुमाने चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 1999 में शिवसेना ने यहां अपना खाता खोला.

सीट का इतिहास...

रामटेक लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी लेकिन यह सबसे ज्यादा चर्चा में 1984 में रही थी. उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हाराव यहां से चुनाव लड़े थे. इसके बाद 1989 में भी वो यहां से जीत दर्ज करने में सफल रहे थे.

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बता दें कि 1957 से लेकर 1998 तक कांग्रेस का गढ़ रही है. यहां सबसे पहला लोकसभा चुनाव कृष्ण राव गुलाबराव देशमुख ने जीता था. फिर 1962 में माधवराव भगवंत राव पाटिल चुनाव जीते. उनके बाद अमृत गणपत सोनार 1967 और 1971 में लगातार दो बार जीते. फिर 1974 में राम हेडऊ निर्दलीय जीते. 1977 और 1980 में बर्वे जतीराम चिताराम लगातार जीते.

1984 और 1989 में रामटेक की जनता ने पी. वी नरसिम्हाराव को लोकसभा भेजा. वो प्रधानमंत्री भी बने. उनके बाद 1991 में भोंसले राज परिवार के तेज सिंह राव, 1996 में दत्तात्रय राघोबाजी मेघे, 1998 में रानी चित्रलेखा भोसले चुनाव जीते.

1999 में पहली बार शिवसेना को मिली जीत

रामटेक में कांग्रेस को हराकर सबसे पहले 1999 में शिवसेना यहां चुनाव जीती. सुबोध मोहिते सांसद चुने गए. वो यहां से 2004 में भी जीते. लेकिन मोहिते के शिवसेना छोड़ने के बाद यहां हुए उपचुनाव में शिवसेना के प्रकाश जाधव चुनाव जीते. इस जीत के बाद बाल ठाकरे ने रामटेक को शिवसेना का गढ़ भी माना.

जब कांग्रेस ने पलट दी बाजी...

लगातार तीन जीत मिलने के बाद शिवसेना रामटेक लोकसभा सीट को अपना गढ़ कहने लगी थी. लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में नतीजे अलग रहे. यहां कांग्रेस ने वापसी की और मुकुल वासनिक चुनाव जीते. उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का मौका भी मिला. लेकिन कांग्रेस की यह जीत ज्यादा समय नहीं टिक पाई. 2014 में दोबारा शिवसेना यहां चुनाव जीती और कृपाल तुमाने चुनाव जीते.

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