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लोकसभा चुनाव: कांग्रेस-BJP के खिलाफ उम्मीदवार उतारेंगे बेनीवाल

राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि उनकी पार्टी बीएसपी, सीपीआई और बीटीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेगी. पार्टी प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी.

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हनुमान बेनीवाल (फोटो-आजतक)
हनुमान बेनीवाल (फोटो-आजतक)

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लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेगी. पार्टी प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी. इसके लिए वह बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से गठबंधन कर ‘तीसरे मोर्चे’ का गठन करेगी.

बेनीवाल ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राजस्थान में लोकसभा चुनाव में ‘तीसरे मोर्चे’ का गठन किया जा रहा है, जिसमें हम बीएसपी, सीपीआई और बीटीपी के साथ मिलकर 25 सीटों पर साझा उम्मीदवार उतारेंगे.

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने 3 सीटें जीत कर दूसरे स्थान पर रहे थे. तो वहीं 15 से 20 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ा था. भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी विधानसभा चुनाव में 3 सीटें जीती हैं जबकि बीएसपी ने 6 सीटें जीती हैं. सीपीआई दो जगहों पर दूसरे स्थान पर रही थी. ऐसा माना जा रहा है कि अगर यह चारों छोटी पार्टियां ‘तीसरे मोर्चे’ का गठन कर के मैदान में उतरती हैं तो राजस्थान लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर बड़ा उलटफेर कर सकती हैं.

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आरएलपी का बाड़मेर, जोधपुर, नागौर और पाली में  अच्छा खासा जनाधार है. जहां पर जाट वोट बैंक में सेंध लगाकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है. बताया जा रहा है कि पार्टी किसान की संपूर्ण कर्जमाफी,  टोल मुक्त राजस्थान, बेरोजगारी भत्ता, बेरोजगारी, आतंकवाद और देश की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी. जल्द ही पार्टी इसको लेकर एक ज्वॉइन्ट प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी.

इस बार राजस्थान में जाट जाति कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं जबकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी से नाराज राजपूत वापस बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में खड़े दिख रहे हैं. इसी तरह से बीएसपी का भी यूपी से लगने वाला धौलपुर, भरतपुर, करौली और दौसा जिले में अच्छा प्रभाव है जबकि बीटीपी ने इस बार बांसवाड़ा, डूंगरपुर के इलाके में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचा था. दलितों और आदिवासियों के वोट बैंक पर कांग्रेस को ज्यादा भरोसा है लिहाजा माना जा रहा है कि अगर तीसरा मोर्चे का गठन होता है तो इस से कांग्रेस को नुकसान ज्यादा पहुंचेगा.

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