पटना साहिब सीट के बारे में एक कहावत है. कहते हैं पटना साहिब से बीजेपी, नालंदा से जेडीयू और किशनगंज से कांग्रेस किसी को भी टिकट दे दे तो उसकी चुनावों में जीत पक्की है. रविशंकर प्रसाद तो वैसे भी दिग्गज नेता हैं लेकिन उनके लिए लड़ाई इतनी आसान नहीं है. उनका मुकाबला अपने ही सजातीय प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा से है. ऐसे प्रत्याशी से, जो लगातार दो बार पटना साहिब से सांसद रहा है.
रविशंकर प्रसाद पटना साहिब की सड़कों पर उतरकर लोगों से मिल रहे हैं. पीछे समर्थकों का रेला है. पीछे नारेबाजी चल रही है. नारेबाजी के साथ रविशंकर प्रसाद का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है. इस बीच आजतक ने रविशंकर प्रसाद से उनके चुनावी क्षेत्र पटना साहिब में अलग अलग मु्द्दों पर बात की. प्रसाद ने आजतक की एक्जिक्यूटिव एडिटर अंजना ओम कश्यप से कहा, 'मैं शत्रुघ्न सिन्हा का नाम नहीं लूंगा. ये मुद्दों की लड़ाई है-आशा बनाम अवसरवाद. अब वो नई पार्टी में गए, 22 साल हमारी पार्टी में थे. हम लोगों ने उन्हें जिताने के लिए काफी मेहनत की. वहां गए हैं, जाने दीजिए. जिस पार्टी में गए हैं, उनसे जरूर सवाल पूछेंगे कि राहुल गांधी आज शहीदों का अपमान करते हैं, सबूत मांगते हैं. इस चुनाव का मुद्दा है कि शहीदों का सबूत चाहिए या हिंदुस्तान को एक सच्चा सपूत चाहिए.'
रविशंकर प्रसाद के लिए पटना साहिब की जंग नाक की लड़ाई बन गई है. चुनाव प्रचार में रविशंकर प्रसाद और बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. रविशंकर प्रसाद अपने लिए नहीं, बल्कि मोदी के लिए वोट मांग रहे हैं. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं डेढ़ महीने से क्षेत्र में घूम रहा हूं. सब मेरा समर्थन करने बाहर निकले हैं. इनका उत्साह देखिए, सब लोग नरेंद्र मोदी जी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. आज मुझे गर्व है कि नरेंद्र मोदी जी ने भारत को उस ऊंचाई पर पहुंचाया है. गरीबों के लिए, सैनिकों के लिए और हिंदुस्तान का मान-सम्मान बढ़ाया है. इस चुनाव का मुद्दा है कि हिंदुस्तान को कौन आगे बढ़ाएगा और हिंदुस्तान का कौन मान-सम्मान रखेगा.'
पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, उधर, शत्रुघ्न सिन्हा भी पूरी ताकत से चुनावी अखाड़े में जमे हुए हैं. शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के टिकट पर पटना साहिब से दो बार सांसद बने लेकिन इस बार तो शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक दुनिया ही बदल गई. शत्रुघ्न ने कांग्रेस के खिलाफ अपनी सियासत की पारी शुरू की थी लेकिन अब कांग्रेस के ही टिकट पर पटना साहिब से चुनाव मैदान में हैं.
पिछले कुछ साल से शत्रुघ्न सिन्हा के तेवर सरकार के विरोध में चल रहे थे, लिहाजा बीजेपी ने उन्हें पार्टी से तो नहीं निकाला लेकिन उनका टिकट जरूर काट दिया. शत्रु टिकट के लिए आरजेडी और कांग्रेस के चक्कर काटने लगे. उनकी जिद थी कि सिचुएशन भले ही कुछ हो लेकिन लोकेशन नहीं बदलेगी. यानी लड़ेंगे तो पटना साहिब से.
शत्रुघ्न सिन्हा आखिरकार पटना साहिब सीट से कांग्रेस का टिकट पा ही गए. तो बीजेपी ने रविशंकर प्रसाद को उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया. दो-दो दिग्गजों की लड़ाई में बिहार की वीआईपी सीट रही पटना साहिब सीट अब और भी सुर्खियों में छा गई है. दो-दो कायस्थ नेताओं की लड़ाई में पटना साहिब की लड़ाई दिलचस्प हो गई है. पटना साहिब सीट पर 28 प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं, जिनमें ज्यादातर कायस्थ हैं. पटना साहिब सीट पर कायस्थ वोट ही निर्णायक रहे हैं. पटना साहिब की 6 में से 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.
आजतक के एक सवाल के जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'बीजेपी की ऐतिहासिक जीत होगी. हमें इस बात का संतोष है कि नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारत को ईमानदार बनाने की कोशिश की है और इसे वे आगे बढ़ाएंगे.' शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में एक सवाल पर उन्होंने भोजपुरी में कहा कि 'हम हीरो नईखीं, पटना के एगो साधारण कार्यकर्ता बानी. हम जनता के बीच रहिले अउर हमरा के उहे रहे दीं. अब हमरा के हीरो मत बनाईं. जो हीरो बाड़न उनका रहे दीं (मैं हीरो नहीं हूं, पटना का एक साधारण कार्यकर्ता हूं. मैं जनता के बीच रहता हूं और हमें वैसा ही रहने दिया जाए. अब मुझे हीरो बनने की जरूरत नहीं है, जो हीरो है उसे रहने दें).
रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि 23 तारीख को गिनती होगी तो ऐतिहासिक जीत होगी. सिर्फ भाजपा को अकेले पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है. हिंदुस्तान का आम नागरिक ये मानता है कि देश मोदी जी के हाथों में सुरक्षित है. अभी हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने राजीव गांधी को 'भ्रष्टाचारी नंबर 1' बताया. इससे जुड़े एक सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी को क्या क्या नहीं कह रहे हैं. एक बार बोफोर्स की कहानी खुल गई तो वे परेशान हो गए. क्वात्रिको मामा कौन थे? बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी, भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस का इतिहास जगजाहिर है. पटना के सांसद जिस पार्टी में गए हैं, उन्हें जवाब देना पड़ेगा. गर्व है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. वो 17-18 घंटे खटते (परिश्रम) हैं और हमलोग भी खटते हैं, इस तरह देश को आगे बढ़ाना है.'
2014 में 48 प्रतिशत सवर्ण वोट बीजेपी को मिले थे, आरजेडी को 23 फीसदी और जेडीयू को 6 प्रतिशत सवर्ण वोट मिले थे. सियासत के दिग्गजों का मानना है कि कायस्थ वोट बैंक बीजेपी के भी प्रतिबद्ध वोटर रहे हैं, लिहाजा कायस्थ वोटों में बड़े पैमाने पर बंटवारा नहीं हो सकता. शत्रुघ्न सिन्हा को बाकी जातियों के साथ मुस्लिम वोट मिल सकते हैं. बहरहाल दोनों प्रत्याशियों ने पटना साहिब में पूरा जोर लगा रखा है. 8 मई को शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना में रोड शो किया तो रविशंकर प्रसाद ने 26 अप्रैल को पटना में दल बल के साथ रोड शो किया.
रविशंकर प्रसाद यूं तो अपने विरोधियों की धज्जियां उड़ाने में कोई कोर कसर नहीं रखते लेकिन चुनावी राजनीति के आगाज के साथ उनकी एक दुविधा भी शुरू हो गई. दरअसल उनके सामने हैं शत्रुघ्न सिन्हा, जो उनके पुराने मित्र हैं. रविशंकर प्रसाद उनके खिलाफ कुछ भी कहने से बचते हैं. रविशंकर प्रसाद की ये उलझन एकतरफा नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा भी जहां मोदी सरकार पर जमकर बरसते हैं, वहीं रविशंकर प्रसाद पर सीधे सीधे कोई वार करने से बचते हैं.
रविशंकर प्रसाद जेपी आंदोलन की उपज हैं. विश्वविद्यालय की राजनीति से देश की राजनीति में पहुंचे हैं. 1995 से बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हैं. उनकी अहमियत इसी बात से जानी जा सकती है कि वो अटल सरकार में मंत्री रहे तो मोदी सरकार में भी कानून मंत्री हैं. चुनाव भले ही पहली बार लड़ रहे हैं लेकिन सियासत में माहिर हैं. वो जानते हैं कि उनकी पहली राजनीतिक लड़ाई आसान नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा नेता के साथ अभिनेता भी हैं, दो-दो बार पटना साहिब के सांसद रहे हैं. दोनों दिग्गज अपनी जीत के लिए पसीना बहा रहे हैं, दिग्गजों की जंग दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है.
पटना साहिब सीट पर आखिरी चरण में 19 मई को मतदान होगा और नतीजे आएंगे 23 मई को. तभी तय होगा कि पटना साहिब का असली हीरो कौन साबित होगा.
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