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रविशंकर प्रसाद: इंदिरा विरोधी छात्र नेता से केंद्रीय मंत्री का सफर

रविशंकर प्रसाद के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 में छात्र नेता के रूप में हुई. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

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रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)
रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)

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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना साहिब से बीजेपी उम्मीदवार हैं. मोदी सरकार में प्रसाद के पास कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी है. अपने कड़े तेवर के लिए वह अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं रविशंकर प्रसाद?

रविशंकर प्रसाद का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ. उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील थे. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से बीए, एम.ए और एलएलबी  की पढ़ाई की है. रविशंकर प्रसाद 1980  से वकालत कर रहे हैं.

राजनीतिक जीवन

रविशंकर प्रसाद के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 में छात्र नेता के रूप में हुई. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहे छात्र आंदोलन में एबीवीपी के सक्रिय छात्र नेता के रूप में उनका नाम सामने आया. अपने कॉलेज के दिनों में वह पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के सहायक महासचिव बने. 1995 से रविशंकर प्रसाद बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं. हाल ही में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने रणनीति बनाने का काम किया.

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अटल बिहारी वाजपेयी की  सरकार में 2001 से 2003 तक रविशंकर प्रसाद को कोयला एवं खान राज्यमंत्री बनाया गया. दोनों मंत्रालय में उनके द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें कानून राज्य मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी. देखते ही देखते उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल जीत लिया इसके बाद उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया. केंद्र में मोदी सरकार बनते ही रविशंकर प्रसाद को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेक्नोलॉजी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई.

अब एक बार फिर 2019 के आम चुनाव हैं और वीआईपी सीटें सुर्खियों में हैं. पटना साहिब से रविशंकर सिंह के सामने बीजेपी के बागी, अभिनेता और कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में हैं. इंडिया टुडे से बातचीत में रविशंकर सिंह ने कहा था 'पटना मेरा शहर है, मेरा यहां जन्म हुआ, पढ़ाई हुई, वकील बना. हालांकि मैं राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा था, मेरा इस शहर से बहुत लगाव है.' चुनाव हैं और उसमें ऐसी बातें अक्सर नेताओं द्वारा होती हैं. खैर 23 मई को साफ हो जाएगा कि पटना के लोगों का भी रविशंकर प्रसाद से गहरा लगाव है या नहीं.

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