scorecardresearch
 

संत कबीर नगरः विधानसभा में क्लीन स्वीप करने वाली BJP का फिर से चलेगा जादू?

1997 से पहले संत कबीर नगर बस्ती जिले के अंतर्गत आता था, लेकिन नए जिले के रूप में प्रदेश के नक्शे पर आने के 11 साल बाद इसे संसदीय क्षेत्र का दर्जा भी मिल गया. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इसे लोकसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और इसके एक साल बाद यहां पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा गया.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर (ट्विटर)
सांकेतिक तस्वीर (ट्विटर)

Advertisement

महान संत और कवि कबीर दास के नाम पर रखे गए संत कबीर नगर संसदीय सीट उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से एक है और इसकी सीट संख्या 62 है. यह सीट 11 साल पहले ही अस्तित्व में आया और 2002 में गठित परिसीमन आयोग की ओर से दिए गए सुझाव के बाद 2008 में संत कबीर नगर को संसदीय सीट का दर्जा दे दिया गया. हालांकि यह देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने संत कबीर नगर को देश के सबसे पिछड़े 250 जिलों में शामिल किया और यह प्रदेश के उन 34 जिलों में है जिसे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम (बीआरजीएफ) के तहत अनुदान दिया जाता है.

बस्ती मंडल में शामिल संत कबीर नगर जिले का मुख्यालय खलीलाबाद है. यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज, पूर्व में गोरखपुर, दक्षिण में अंबेडकर नगर और पश्चिम में बस्ती जिला से घिरा हुआ है.  घाघरा, कुआनो, आमी और राप्‍ती यहां पर बहने वाली प्रमुख नदियां हैं. 5 सितंबर 1997 को बस्ती से अलग करते हुए संत कबीर नगर प्रदेश के नए जिलें के रूप में अस्तित्व में आया. पहले यह बस्ती जिले का एक तहसील था.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1997 से पहले यह बस्ती जिले के अंतर्गत आता था, लेकिन नए जिले के रूप में प्रदेश के नक्शे पर आने के 11 साल बाद इसे संसदीय क्षेत्र का दर्जा भी मिल गया. 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद 2008 में इसे लोकसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और इसके एक साल बाद यहां पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा गया. 2009 में क्षेत्र में हुए पहले लोकसभा  चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के भीष्म शंकर उर्फ कौशल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शरद त्रिपाठी को 29,496 मतों के अंतर से हरा दिया था. उस चुनाव में 24 उम्मीदवार मैदान में थे.

भीष्म शंकर को इस चुनाव में 26.35 फीसदी यानी 2,11,043 मत हासिल हुए और उन्होंने 3.68 फीसदी के अंतर से यह जीत हासिल की थी. 2014 के चुनाव में बीजेपी के शरद त्रिपाठी ने पिछली हार का बदला लेते हुए भीष्म शंकर को हराकर संसद में प्रवेश किया.

2014 के लोकसभा के हिसाब से देखा जाए तो यहां पर मतदाताओं की संख्या 19,04,327 है जिसमें 10,45,430 पुरुष मतदाता और 8,58,897 महिला मतदाता शामिल हैं. तब 53.1% यानी 10,11,649  मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.  इसके 4,747 (0.2%) वोट नोटा (NOTA)में पड़े थे.

Advertisement

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के अनुसार, संसदीय सीट संत कबीर नगर की आबादी 17.2 लाख है जिसमें 8.7 लाख (51%) पुरुषों की और 8.5 लाख (49%) महिलाओं की आबादी है. इसमें 78 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है और 22% आबादी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर देखा जाए तो 76% आबादी हिंदुओं की है जबकि मुस्लिमों की आबादी 24% है. लिंगानुपात के लिहाज प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाएं हैं. यहां की साक्षरता दर 67% है, जिसमें 78% पुरुष और 55% महिलाओं की आबादी साक्षर है.

संत कबीर नगर के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र (आलापुर, मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघाटा और खजनी) आते हैं. अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व आलापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की अनीता कमल का कब्जा है जिन्होंने सपा की संगीता को 12,513 मतों के अंतर से हराया था. मेंहदावल विधानसभा सीट पर भी बीजेपी के राकेश सिंह बघेल विधायक हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में बसपा के अनिल कुमार त्रिपाठी को 42,914 वोटों से हराया था.

खलीलाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी के दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे ने 2017 के चुनाव में बसपा के मंसूर आलम चौधरी को 16,037 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित धनघाटा विधानसभा सीट पर से बीजेपी के सीताराम चौहान विधायक हैं जिन्होंने 2 साल पहले हुए चुनाव में सपा के अगलू प्रसाद को 16,909 वोटों से हराया था.  अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खजनी विधानसभा सीट से भी बीजेपी का कब्जा है और उसने बसपा के राजकुमार को 20,079 मतों के अंतर से हराया था. पांचों विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है ऐसे में उसकी स्थिति थोड़ी मजबूत है.

Advertisement

2014 का जनादेश

2008 में संसदीय सीट के रूप में अस्तित्व में आने के बाद 2014 में यहां पर दूसरी बार लोकसभा चुनाव कराया गया. तब चुनाव में 25 प्रत्याशी मैदान में थे. 19,04,327 मतदाताओं में से 10,11,649 (53.1%) लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमें बीजेपी के शरद त्रिपाठी विजयी रहे. उन्होंने 97,978 (9.7%) मतों के अंतर से बसपा के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को हराया था.

शरद त्रिपाठी और कुशल के बाद तीसरे स्थान पर सपा के भालचंद्र यादव थे, जबकि पीस पार्टी के राजाराम चौथे स्थान पर रहे. कांग्रेस यहां पांचवें नंबर पर रही थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

47 साल के सांसद शरद त्रिपाठी बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं उन्होंने कानपुर युनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है. वो गोरखपुर के रहने वाले हैं और उनका जन्म भी यहीं हुआ था. उनके परिवार में 2 बेटे और 2 बेटियां हैं.

शरद त्रिपाठी पहली बार लोकसभा पहुंचे हैं. वह वहां विदेश मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं. जहां तक लोकसभा में उनकी उपस्थिति का सवाल है तो उनकी उपस्थिति 98 फीसदी रही है जो राष्ट्रीय औसत (80%) और राज्य औसत (87%) से ज्यादा है. वह सदन में लगातार सक्रिय रहे. उन्होंने 644 बहसों में हिस्सा लिया जबकि राष्ट्रीय औसत (65.3%) और राज्य औसत (107.2%) से कहीं ज्यादा है. इसी तरह वह सवाल पूछने के मामले में भी काफी आगे रहे. उन्होंने 282 सवाल पूछे. इसके अलावा उन्होंने 3 प्राइवेट मेंबर्स बिल भी पेश किया.

Advertisement

महान संत और कवि संत कबीर दास के नाम पर आधारित इस संसदीय क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी (23%) है और यह यहां की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. सपा-बसपा के गठबंधन और कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद प्रदेश की राजनीति में नया रोमांच आ गया है. देखना होगा कि बीजेपी इन नए समीकरणों का किस तरह सामना करते हुए अपनी सीट बचाती है या फिर नए समीकरण के आगे बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ सकता है.

Advertisement
Advertisement