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Sikar Lok Sabha Result 2019: BJP के सुमेधानंद सरस्वती ने कांग्रेस के सुभाष महारिया को हराया

Lok Sabha Chunav Sikar Result 2019 राजस्थान की सीकर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सुमेधानंद सरस्वती 297156 वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे.

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Sikar Lok Sabha Election Result 2019
Sikar Lok Sabha Election Result 2019

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लोकसभा चुनाव 2019 के तहत राजस्‍थान की सीकर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने परचम लहराया है. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती 297156 वोटों के अंतर से अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी को शिकस्‍त देने में कामयाब रहे. इस सीट पर कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे. हालांकि मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा.

2019 का जनादेश

सीकर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी)प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती को 772104 वोट मिले. वहीं, कांग्रेस के सुभाष महारिया 474948 वोटों के साथ दूसरे, कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया के अमराराम 31462 वोटों के साथ तीसरे, 7816 वोटों के साथ नोटा चौथे और बीएसपी की सीता देवी 6831 वोटों के साथ चौथे पांचवें पायदान पर रहीं. बता दें कि इस सीट पर पांचवें चरण के तहत 6 मई को मतदान हुआ था और मतदान का प्रतिशत 64.76 रहा है. 

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2014 का चुनाव

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सीकर संसदीय सीट पर 60.2 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी को 46.9 फीसदी, कांग्रेस को 24.4 फीसदी वोट मिले. जबकी तीसरे स्थान पर पूर्व बीजेपी सांसद सुभाष महरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 17.7 फीसदी वोट हासिल किए. जहां बीजेपी से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने 4,99,428 वोट पाते हुए जीत दर्ज की. कांग्रेस से प्रताप सिंह जाट 2,60,232 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहें. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुभाष महरिया को 1,88,841 वोट मिले.

सामाजिक ताना-बाना

राजस्थान का शेखावटी क्षेत्र शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है. लेकिन 2014 की मोदी लहर में बीजेपी ने इस मिथक को तोड़ते हुए कांग्रेस का यह मजबूत किला ढहा दिया. वैसे तो शेखावटी अंचल में लोकसभा की तीन सीटें- झुंझुनू, सीकर और चूरू शामिल हैं लेकिन प्रदेश और देश की जाट सियासत में सीकर की अपनी अलग पहचान है.

इस क्षेत्र का इस्तेमाल तमाम सियासी दल देश की जाट सियासत में बड़ा संदेश देने के लिए करते रहे हैं. फिर चाहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सीकर से जाट आरक्षण का ऐलान हो या कांग्रेस के कद्दावर नेता बलराम जाखड़ और पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का हरियाणा से आकर यहां से चुनाव लड़ना ही क्यों न हो. 2014 में सीकर से जीतने वाले स्वामी सुमेधानंद सरस्वती भी सीकर से न होकर पड़ोसी राज्य हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं और जाट समुदाय के हैं.

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यहां 15.26 फीसदी अनुसूचित जाति और 3.37 फीसदी अनुसूचित जनजाति आबादी है. कुल आबादी का 82 फीसदी हिंदू और 12 फीसदी मुस्लिम है.

सीट का इतिहास

1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में सीकर लोकसभा सीट पर रामराज्य पार्टी ने जीत हासिल की. इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में लगातार दो बार कांग्रेस के रामेश्वरलाल टांटियां यहां से सांसद बने. 1967 का चुनाव भारतीय जनसंघ से गोपाल साबू ने जीता तो वहीं 1971 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की. 1977 की जनता लहर में कांग्रेस यह सीट बचा नहीं पाई और भारतीय लोकदल के टिकट पर जगदीश प्रसाद ने बाजी मारी. 1980 के चुनाव में जनता पार्टी-एस के कुंभाराम आर्य यहां से चुनाव जीते.

1984 में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे बलराम जाखड़ ने बीजेपी के बड़े ब्राह्मण नेता धनश्याम तिवाड़ी को हराकर सीकर में जीत का परचम लहराया. लेकिन 1989 के लोकसभा चुनाव में पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने जाखड़ के समक्ष ताल ठोक कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया. हालांकि जाखड़ यह चुना देवीलाल से हार गए. लेकिन 1991 के चुनाव में कांग्रेस के बलराम जाखड़ ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की. 1996 के चुनाव में भी कांग्रेस को इस सीट पर जीत हासिल हुई. लेकिन इसके बाद लगातार तीन बार सीकर संसदीय सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा, जब 1998,1999, 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सुभाष महारिया ने जीत का परचम लहराया.

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हालांकि 2009 के चुनाव में महरिया, कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला से चुनाव हार गए. लेकिन 2014 की मोदी लहर में एक बार फिर बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया. सीकर के सियासी समीकरण हाल के दिनों में बदले हैं क्योंकि बीजेपी के तीन बार के सांसद रहे सुभाश महरिया अब अपने भाई समेत कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.

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