उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन पर मायावती और अखिलेश यादव की मुहर लग गई है. दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की है कि यूपी की कुल 80 सीटों में से समाजवादी पार्टी 38 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. रायबरेली और अमेठी की सीट पर ये गठबंधन पर अपना कैंडिडेट नहीं उतारेगा, जबकि बाकी बची दो सीटें अन्य दलों के लिए छोड़ी गई हैं.
राजनीतिक हलकों में ये चर्चा थी कि ये दो सीटें किस अन्य दल के लिए छोड़ी गई हैं. अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने साफ कर दिया है कि ये दो अन्य सीटें अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल के लिए छोड़ी गई हैं. रामगोपाल यादव ने कहा, " 2 सीटें रायबरेली और अमेठी कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं तथा शायद 2 सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए भी छोड़ी गई हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक 4 जनवरी को दिल्ली में जब मायावती और अखिलेश की बैठक हुई थी तो आरएलडी को 2 सीटें देने का फॉर्मूला तय हुआ था. लेकिन सवाल है कि क्या आरएलडी दो सीटों पर मानने को तैयार होगी? यहां बता दें कि आरएलडी के अजित सिंह और जयंत चौधरी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जयंत चौधरी मथुरा से और अजित सिंह मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि सपा-बसपा के गठबंधन ने आरएलडी के लिए कौन सी दो सीटें छोड़ी हैं इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है.
इसके अलावा माना जा रहा है कि कैराना सांसद तबस्सुम को सपा अपने कोटे से इस सीट से चुनाव लड़वा सकती है. कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तबस्सुम ने अखिलेश के समर्थन से RLD के टिकट पर बीजेपी को मात दी थी. चर्चा यह भी है कि समाजवादी पार्टी अपने कोटे से दो छोटे दलों को सीटें ऑफर कर सकती हैं. ये दल हैं निषाद पार्टी और पीस पार्टी. माना जा रहा है कि गोरखपुर में सपा निषाद पार्टी के कैंडिडेट को अपने कोटे से टिकट दे सकती है. गोरखपुर उपचुनाव में सपा के टिकट पर निषाद पार्टी के संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद चुनाव जीते थे. रिपोर्ट के मुताबिक पीस पार्टी के नेता को अखिलेश खलीलाबाद लोकसभा सीट पर टिकट दे सकते हैं.