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विधायक से रक्षा मंत्री तक, सियासत के बड़े खिलाड़ी मुलायम सिंह

तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव सियासत के बड़े माहिर माने जाते हैं. उन्होंने अपने दम पर समाजवादी पार्टी खड़ी की, और आज उनके बेटे अखिलेश यादव पार्टी की कमान संभाल रहे हैं.

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Mulayam Singh Yadav (Photo-India Today)
Mulayam Singh Yadav (Photo-India Today)

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समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव को देश के उन नेताओं में गिना जाता है, जिनकी तरकीब कब पासा पलट दे, कोई अनुमान नहीं लगा पाता. 79 साल के मुलायम सिंह 52 साल से चुनावी राजनीति में हैं. 4 अक्टूबर 1992 को उन्होंने जिस समाजवादी पार्टी का गठन अपने दम पर किया, वो आज उत्तर प्रदेश में सियासत की सबसे अहम धुरी बन गई है.

सैफई में लिया जन्म

समाजवादी पार्टी के पहले अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सैफई गांव में हुआ. मुलायम सिंह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह है. मुलायम सिंह ने आगरा यूनिवर्सिटी से एमए और जैन इंटर कॉलेज मैनपुरी से बीटी की पढ़ाई की. मुलायम सिंह ने राजनीतिक विज्ञान में एमए की पढ़ाई की और इसके बाद वो इंटर कॉलेज में अध्यापक भी रहे.

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मुलायम सिंह की शादी मालती देवी से हुई, जिनका मई 2003 में देहांत हो गया. मालती देवी ने अखिलेश यादव को 1973 में जन्म दिया. मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव हैं, जिन्होंने उनकी दूसरी पत्नी साधना यादव के घर 1988 में जन्म लिया. फरवरी 2007 में मुलायम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दूसरी शादी की बात को स्वीकार किया.

मुलायम सिंह की सियासी पारी

कभी पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह यादव ने 15 साल की कम उम्र में ही राजनीतिक अखाड़े में कदम रख दिया था. इसकी शुरुआत 1954 में हुई, जब उन्होंने समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और जेल गए. इस दौरान वो राम सेवक यादव, कर्पूरी ठाकुर, जनेश्वर मिश्र और राज नारायण जैसे दिग्गजों के टच में आए. मुलायम सिंह ने राजनीति के शुरुआती दिनों में मजदूर, किसान, पिछड़ों, छात्र व अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए जमकर आवाज उठाई.

1967 में पहली बार बने विधायक

औपचारिक तौर पर मुलायम सिंह यादव 1960 में राजनीति का हिस्सा बने. इसके बाद 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने. उन्होंने यह चुनाव अपने जिले इटावा की जसवंतनगर सीट से जीता. इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 समेत कुल 8 बार विधायक निर्वाचित हुए. आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह 19 महीने जेल में भी रहे.

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आपातकाल का दौर मुलायम सिंह के लिए अहम मोड़ साबित हुआ. इसी साल वो पहली बार यूपी सरकार में मंत्री बने और उन्हें सहकारिता व पशुपालन मंत्रालय मिला.

1982-85 तक यूपी विधान परिषद् के सदस्य रहे

1985-87 तक यूपी विधानसभा में नेता विपक्ष रहे

1989 में पहली बार बने मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव 1980 के आखिर में यूपी लोक दल के अध्यक्ष बने, जो बाद में जनता दल का हिस्सा बन गया. मुलायम सिंह 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और कांग्रेस के समर्थन से वह सीएम की कुर्सी पर बने रहे.

हालांकि, जल्द ही कांग्रेस ने उन्हें बड़ा झटका दिया. अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम सिंह की सरकार गिर गई. 1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए और मुलायम सिंह की पार्टी हार गई और बीजेपी सत्ता में आई.

1992 में बनाई समाजवादी पार्टी

इस घटना के बाद मुलायम सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाने का फैसला किया. उन्होंने 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में समाजवादी पार्टी के गठन की घोषणा की. ये वो वक्त था, जब उनके पास खास जनाधार नहीं था. इसलिए नवंबर 1993 में जब यूपी विधानसभा चुनाव हुए तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ कर दिया. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुलायम सिंह की यह तरकीब काम कर गई और सपा 256 सीटों पर लड़कर 109 जीत गई. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने 164 में से 67 पर जीत दर्ज की. इस तरह गठबंधन ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव फिर मुख्यमंत्री बने.

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बसपा का साथ छूटा

गठबंधन में सरकार बनाने के दो साल के अंदर ही सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए. बीएसपी ने सपा से गठबंधन वापस कर लिया, जिसके बाद 2 जून 1995 को लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित गेस्ट हाउस में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा मायावती को कथित तौर पर बंदी बना लिया गया.

केंद्र की राजनीति में आए मुलायम सिंह

यूपी में सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति का रुख किया और 1996 में पहली बार मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव जीता. केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी और वह रक्षा मंत्री बने. हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और वो पीएम की रेस में भी सबसे आ गए. लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया. इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई और 1999 में मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीते. हालांकि, बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, जहां हुए उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने.

2003 में मुलायम सिंह की फिर यूपी में वापसी हुई और वो 2007 तक मुख्यमंत्री रहे. दूसरी तरफ उन्होंने 2004 व 2009 में मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव जीता. इसके बाद 2014 में भी वह मैनपुरी के साथ आजमगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए, लेकिन मैनपुरी सीट उन्होंने खाली कर दी, जिस पर बाद में हुए उपचुनाव में उनके पोते तेज प्रताप सिंह यादव जीते और मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट अपने पास रखी. इससे पहले 2012 में जब राज्य में सपा सरकार बनी तो उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम बनाया. कुल आठ बार विधायक और एक बार विधान परिषद् सद्स्य रहने वाले मुलायम सिंह तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. वह 6 बार लोकसभा सांसद बन चुके हैं. 2019 में उन्होंने मैनपुरी सीट से भाग्य आजमाया है.

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